महाभारत काल का मंदिर
खंडेश्वर महादेव का संबंध महाभारत (Maha Bharat) काल से माना जाता है। मान्यता है कि अलवर के मत्सय नगर व लोहागर्ल तक अज्ञातवास के दौरान आए पाण्डवों का संबंध इस मंदिर से रहा है। तब से ही ये मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र बना हुआ है। पौराणिम महत्व के साथ ये मंदिर अपने अद्भुद चमत्कारों के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहां सच्चे ह्रदय से मांगी गई हर मनौती पूरी होती है।
Khandeswar Mahadev मंदिर के पुजारी राकेश शर्मा ने बताया कि प्राचीन काल में शिव और शक्ति दोनों एक साथ इस मंदिर में विराजमान हुए थे। शिवालय में ही चामुंडा माता का एक छोटा मंदिर था। पर मंदिर के आसपास श्मशान भूमि होने की वजह से चामुंडा माता ने मंदिर के पुजारी को स्वपन में दर्शन देकर अपना मंदिर श्मशान से दूर मंदिर के सामने वाली पहाड़ी पर स्थापित करवाने की प्रेरणा दी। जिसके बाद चामुण्डा माता के मंदिर की स्थापना महादेव मंदिर के सामने की पहाड़ी पर हुई।