बल्ले-बल्ले! इतने % बढ़ सकता है राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों का DA-DR, आ गया बड़ा अपडेट
मिल चुके कई पुरस्कार
शालिनी को राज्य सरकार की ओर से कई पुरस्कार मिल चुके है। शालिनी को राज्य स्तरीय विशेष योग्यजन पुरस्कार, जिला प्रशासन की ओर से विशेष अवार्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से निशक्त श्रेणी में प्रथम स्थान हासिल करने पर विशेष पुरस्कार, गार्गी पुरस्कार, इन्दिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार सहित 15 से अधिक पुरस्कार भी मिल चुके है।
कोच और शिक्षक का रोल निभा रही मां
पिपराली रोड निवासी सरोज भामू नेत्रहीन बेटी शालिनी चौधरी के लिए यह कभी विशेष शिक्षक तो कभी कोच का रोल निभाती है। बेटी को पढ़ाने के लिए जोधपुर ब्लाइंड स्कूल से ब्रेल स्लेट व जर्मन स्लेट लेकर आई और पहले खुद ब्रेल के कोडस को समझा फिर बेटी को ब्रेल लिपि में पढ़ाना शुरू किया।मिसाल: किसान के बेटे को एक साथ मिली 3 सरकारी नौकरी, सरकारी स्कूल में पढ़कर किया नाम रोशन
ऑपरेशन भी हुए, लेकिन नहीं आई रोशनी
सरोज ने बताया कि जब शालिनी पांच महीने की तब पता लगा कि आंखों में कुछ दिक्कत है। इस पर वर्ष 2004 में ऑखों का ऑपरेशन भी करवा लिया। लेकिन शालिनी की जिदंगी में उजाला नहीं आ सका। दिल्ली एम्स से लेकर देश के नामी नेत्र चिकित्सकों से परामर्श लिया। लेकिन सफलता नहीं मिली।