पहले भी मिली अवमानक दवाइयां : जिले में इससे पहले वर्ष 2014 से 2017 के दौरान भी मापदंडों के तहत अवमानक दवाइयां पाई गई हंै। सरकारी व निजी क्षेत्र की दवाइयों के सेम्पल लिए गए तथा जांच के बाद सेम्पल फेल हो गए। सेम्पल फेल होने के बाद सभी प्रकरणों में नियमानुसार विभागीय कार्रवाई की गई, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जारी है। कुछ दिनों पहले जयपुर की एक फर्म पर कार्रवाई के दौरान पकड़ी गई दवा शहर समेत जिले के कुछ दवा विक्रेताओं के यहां भी उपलब्ध थी। कुछ दवाओं की बिक्री पर तो सेम्पल लेने के साथ ही रोक लगाने की कार्रवाई की गई थी।
यूं निकाला तोड़ सूत्रों ने बताया कि कुछ दवा निर्माताओं की ओर से नीमेसुलाइड साल्ट में लेवोसेट्रीजिन साल्ट का मिश्रण कर नई दवा तैयार की तथा स्वयं के ब्रांड नाम से बाजार में जारी कर दी। इसी तरह ऑफ्लोक्सासिन साल्ट में ओरनिडाजोल साल्ट का मिश्रण कर इंजेक्शन जारी किया। जेमीफ्लोक्सासिन में एमब्रोक्सोल साल्ट, ग्लुकोसामाइन में इबु्रप्रोफेन साल्ट तथा इटोडोलक में पैरासेटामोल के साल्ट का मिश्रण किया गया। जबकि मुख्य साल्ट में दूसरे के मिश्रण की जरूरत नहीं थी। मिश्रित किया साल्ट अनावश्यक रूप से रोगियों को लेना पड़ रहा था।