बूंद-बूंद से बाग तैयार
किसान ने बताया कि इजराइल की ड्रिप सिस्टम पद्धति से बाग खड़ा करने के बाद बड़े पौधे होने पर भी ड्रिप से ही पौधों को सिंचित किया जा रहा है। बूंद-बूंद पानी से सिंचित होने वाले पौधे अच्छी आमदनी देने लगे हैं। फल के गुच्छों को पक्षियों से बचाव के लिए कपड़े की थैलियों से ढककर रखते हैं।
यूं तैयार किया खेत
बकौल किसान उसने सबसे पहले 2750 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से गुजरात से बरफी खजूर किस्म का पौधा मंगवाया। किसान का दावा है कि क्लोन पद्धति से तैयार इस किस्म को लगाने पर किसान को किसी प्रकार की दवा या उर्वरक की जरूरत नहीं होती है। साथ ही इससे तैयार खजूर में गुठली का आकार विदेशी किस्म की बजाए छोटा होता है और कच्चे फल का स्टोरेज 15 दिन तक किया जा सकता है।
लाखों की आमदनी
बाजार भाव में खजूर के दाम अच्छे मिल रहे हैं। 50 से 100 रुपए किलो तक खजूर बिक रहे हैं। किसान ने बताया कि खजूर के पौधों के बीच गेहूं, सरसों, चना के अलावा ग्वार, मूंग और दूसरी फसलों की बिजाई की जा रही है।
25 किलो तक के फलों के गुच्छे
तीन साल पहले खजूर के पौधों पर फलों के गुच्छे लगने शुरू हुए तो रेत के धोरों में मिठास का अनुभव किया। आसपास के लोग उसका बाग देखने आने लगे। तीन साल पहले पौधों पर मीठे फलों के गुच्छे लगने पर फसल के साथ अतिरिक्त आमदनी होने लगी है। अब तक एक पौधे पर 5 से 25 किलो वजन के खजूर के गुच्छे लग रहे हैं। खजूर के पौधे की उम्र कम से कम 100 साल होती है। ज्यों-ज्यों पौधा बड़ा होता है, फलों के गुच्छे का वजन भी बढ़ता रहता है।
गहराते जल संकट के दौरान खजूर की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा। इससे किसान की आय भी बढ़ जाएगी साथ ही जमीन का पूरा उपयोग होगा।
एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि खंड सीकर
DEMO PIC