ये है मामला
जानकारी के अनुसार गांव के महेश कुमार सैनी की बेटी मानवी राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में पढ़ती है। बुधवार को दोपहर में स्कूल की छुट्टी हुई तो स्टाफ सभी कमरों के ताला लगाकर चला गया। जबकि मानवी को नींद आने पर वह कक्षा कक्ष में ही बंद रह गई। बाद में जब मासूम बच्ची घर नहीं पहुंची तो परिजनों के होश उड़ गए। उन्होने मासूम को गांव में काफी तलाश किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। पुलिस को सूचना देने से पहले मासूम के पिता महेश सैनी स्कूल के कमरों की खिड़कियों से झांक कर देखा तो मासूम मानवी कमरे के अंदर आंगन में लेटी हुई थी। उन्होने मामले की जानकारी स्कूल स्टाफ को दी तथा कमरे का ताला तोड़कर मासूम को बाहर निकाला। तब जाकर परिजनों की सांस में सांस आई।
एसडीएम ने घर पहुंचकर ली जानकारी
मामले की जानकारी मिलने पर गुरुवार को उपखंड अधिकारी बृजेश कुमार मासूम मानवी के घर पहुंचकर परिजनों से जानकारी ली। उन्होने बच्ची से भी बात तो वह पूरी तरह से सहमी हुई थी। एसडीएम ने मासूम को अपनी जेब से पांच सौ रुपए दिए। इसके बाद उन्होंने विद्यालय पहुंचकर निरीक्षण किया तथा स्टाफ से पूछताछ की। ग्रामीणों ने भी विद्यालय स्टाफ के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया। इस पर एसडीएम ने जल्द कार्रवाई करने का ग्रामीणों को आश्वासन दिया।
भोजन कर कमरे में सो गई मासूम
विद्यालय में आई छात्रा भोजन कर कमरे में सो गई। छूट्टी के बाद शिक्षकों ने छात्रों से कमरे को बंद करवा दिया। छात्रों ने भी कमरे की जांच किए बिना बंद करके चले गए। बाद में परिजनों ने विद्यालय के शिक्षकों को फ ोन पर जानकारी देकर कमरे का ताला तोड़कर मासूम को बाहर निकाला।
इनका कहना है….
मामले की जानकारी मिलने पर मासूम व उसके परिजनों से मिलकर आया हूं। विद्यालय स्टाफ से पूछताछ कर ग्रामीणों की भी बात सुनी है। प्रथम दृष्टया विद्यालय प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आई है जिसकी विस्तृत रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।
बृजेश कुमार, उपखंड अधिकारी, नीमकाथाना
जो बच्ची कमरे में बंद थी। वह विद्यालय में नामांकित नहीं थी। विद्यालय में पढऩे वाले परिवार के सदस्यों के साथ आई थी। भोजन करके वह कमरे में सो गई। बच्चे कमरे को बंद कर घर चले गए। बाद में परिजनों ने विद्यालय के शिक्षकों के साथ बात कर कमरे से बाहर निकाला। गुरुवार को ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा है।
महेश कुमार मीणा, पीईईओ