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पब्लिक का काट रहे चालान, परिवहन निरीक्षक खुद चला रहे बीएस-2 खटारा जीपें

यादवेंद्रसिंह राठौड़ सीकर. वाहनों के सुरक्षा मापदंडो की जांच करने वाले परिवहन विभाग के खुद के वाहन ही मापदंडो पर खरे नहीं है। बीएस-6 के दौर में विभाग जहां बीएस-4 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन बंद कर चुका है, वहीं उसके परिवहन निरीक्षक 2009 की बीएस-2 जीपों से निरीक्षण कर रहे हैं। जिनका भी ना तो बीमा […]

सीकरJul 30, 2024 / 11:20 am

Sachin

यादवेंद्रसिंह राठौड़

सीकर. वाहनों के सुरक्षा मापदंडो की जांच करने वाले परिवहन विभाग के खुद के वाहन ही मापदंडो पर खरे नहीं है। बीएस-6 के दौर में विभाग जहां बीएस-4 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन बंद कर चुका है, वहीं उसके परिवहन निरीक्षक 2009 की बीएस-2 जीपों से निरीक्षण कर रहे हैं। जिनका भी ना तो बीमा है ना ही वे प्रदूषण के मापदंड पूरे कर रही है। हालात ये है कि पांच लाख किमी से ज्यादा चल चुकी इन जीपों में हॉर्न, टायर व इंजन की खराबी के साथ इनकी बॉडी तक गल चुकी है। रास्ते में भी ये जीपें कभी भी जवाब देने लगी है।

एक साथ खरीदी थी 50 जीपें, ज्यादातर की हालत खराब

परिवहन विभाग ने प्रदेशभर के आरटीओ ने व डीटीओ कार्यालयों में कार्यरत परिवहन निरीक्षक व उप परिवहन निरीक्षकों के प्रवर्तन दस्ते के लिए 2009 में करीब 50 जीप खरीदी थी। जो बीएस-2 मॉडल की थी। लगातार चलने पर इनमें से कई जीपें बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुकी है। सीकर, झुंझुनूं, चूरू, नीमकाथाना में ऐसी छह जीप है। जो खराब हालत में है।

लिखित शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं

खटारा वाहनों को लेकर झुंझुनूं, सीकर, चूरू सहित कई जगह के परिवहन निरीक्षक उच्च अधिकारियों को लिखित शिकायत कर चुके हैं। पर कई बार शिकायत करने पर भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही। परिवहन निरीक्षकों का कहना है कि 45 डिग्री तापमान में इन जीपों की सवारी भारी परेशानी का सबब बन रही है।

रास्ते में दे रही जवाब, राजस्व को हो रहा नुकसान

राजस्थान सरकार ने परिवहन विभाग जयपुर को सालाना आठ हजार करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित करने का लक्ष्य दे रखा है। जिसे इन जीपों के भरोसे पूरा करना परिवहन निरीक्षकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। क्योंकि अक्सर ओवर लोडिंग व अवैध वाहनों का पीछा करते समय ही ये जीपें रास्ते में बंद हो जाती है। इससे राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। यदि विभाग नए वाहन खरीदे तो उसके राजस्व को भी फायदा हो सकता है।

अधिकारी बोले, अभी 15 साल में कुछ महीने बाकी

15 साल की स्क्रेप पॉलिसी है। अभी कुछ जीपों को पूरे 15 साल नहीं हुए है। समय पूरा होते ही हम स्वयं ही विभाग को पत्र लिखकर नई गाड़ियां मांग लेंगे।
पीएल बामनियां, आरटीओ, सीकर

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