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सीकर के जनाना अस्पताल की व्यवस्थाएं हुई बेपटरी

वजह अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों में से पांच चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत होना है।

सीकरJun 02, 2018 / 01:50 pm

vishwanath saini

janana hospital

सीकर के जनाना अस्पताल की व्यवस्थाएं हुई बेपटरी

सीकर. चिकित्सा मंत्री के गृह जिले के सबसे बड़े सरकारी जनाना अस्पताल की व्यवस्थाएं शुक्रवार को बेपटरी हो गईं। वजह अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों में से पांच चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत होना है। अस्पताल में वर्तमान में महज तीन चिकित्सक होने के कारण अब न तो अब अस्पताल की ओपीडी में मरीज का नम्बर आएगा और न ही अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सक मिल पाएंगे। अस्पताल में मरीजों की सोनोग्राफी भी चिकित्सक कर रहे है। अस्पताल का ड्यूटी चार्ट गड़बड़ा गया है। अस्पताल में 24 घंटे सुविधा मिलना भी मुश्किल है। दिन में किसी तरह तीन चिकित्सक रहेंगे। लेकिन रात में अस्पताल में एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नही रहेगा।

 

अब ये परेशानी
जनाना अस्पताल का उद्घाटन 31 मई को हुआ था। पांच अगस्त 2017 में उद्घाटन के समय स्वास्थ्य राज्य मंत्री बंशीधर बाजिया व प्रभारी मंत्री राजकुमार रिणवा ने चिकित्सक लगाने का आवश्वासन दिया था लेकिन जिम्मेदारों की बेरुखी के कारण ऐसा नहीं हो सका।

 

बेपटरी व्यवस्था
अस्पताल में 100 बैड स्वीकृत हैं लेकिन महज 30 बैड का स्टाफ ही सेवाएं दे रहा है। इससे अस्पताल के सुचारू संचालन में बाधाएं आ रही हैं। चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ को डबल ड्यूटी देनी पड़ रही है। हालांकि उद्घाटन के समय जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों ने नई नियुक्ति देने का आवश्वासन दिया था।


-जनाना अस्पताल में एक साथ पांच चिकित्सकों के अवकाश पर जाने से ड्यूटी चार्ट बनाना भी मुश्किल हो गया है। दिन में तीन चिकित्सक रहेंगे और रात के समय ऑनकॉल सुविधा रहेगी। समस्या को लेकर जिला कलक्टर व सीएमएचओ को अवगत कराया है।
डॉ. बीएल राड, प्रभारी, एमसीएच विंग, सीकर


250 की ओपीडी, 150 महिलाएं रहती हैं भर्ती
जनाना अस्पताल में चिकित्सकों की संख्या के मुकाबले मरीजों का भार ज्यादा है। अस्पताल में रोजाना औसतन 250 मरीजों की ओपीडी रहती हैं। 150 से ज्यादा प्रसूताएं अस्पताल में हर समय भर्ती रहती हैं। हर दिन एक से ज्यादा सीजेरियन डिलीवरी कराई जाती है। चिकित्सकों की संख्या और सीनियर चिकित्सकों की ज्यादा उम्र को देखते हुए हर समय इतने मरीजों को संभालना मुश्किल हो जाएगा। 24 घंटे अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर की मौजूदगी की समस्या भी बढ़ जाएगी।

 

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