हत्या की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे। उन्हें 108 से अस्पताल पहुंचाया गया। बाद में उन्हें गंभीर अवस्था में जयपुर रैफर कर दिया था।कोतवाली फतेहपुर पुलिस ने मामले की जांच में दिनेश लारा पुत्र ओमप्रकाश, चंदन पुत्र दुल्ली व पवन कुमार पुत्र विशंबर निवासी फतेहपुर को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने जांच में माना कि दिनेश व चंदन को चोरी के मामले में एएसआई ओमप्रकाश थाने लेकर आए थे। बाद में वह छूट गए थे। इस दौरान उनके बीच में विवाद हुआ था। पुलिस ने मामले में तत्परता दिखाते हुए जांच के बाद तीनों को गिरफ्तार कर एक महीने में ही चार्जशीट पेश कर दी। हत्या जैसे गंभीर मामले में भी पुलिस खुद के ही साथी की मजबूती से पैरवी नहीं कर सकी। नतीजा यह रहा कि अहम साक्ष्य और गवाहों के मुकर जाने से बरी हो गए।
27 गवाह व 9 को चश्मदीद गवाह बनाया
कोतवाली पुलिस ने एएसआई ओमप्रकाश की हत्या के मामले में 27 गवाह बनाए जिनमें से नौ को पुलिस ने चश्मदीद गवाह बनाया। सभी के कोर्ट में बयानों में बदलाव नजर आया। दिलचस्प ये है कि पुलिस ने जिन दो पुलिसकर्मियों को घटना में चश्मदीद बनाया वे खुद गश्त पर थे और सूचना मिलने के बाद पहुंचे थे। उनकी तरफ से ही मुकदमा दर्ज कराया गया था। हत्या के मामले की जांच पहले इंस्पेक्टर रोशन सिंह ने की। बाद में आरपीएस भंवरलाल सिसोदिया ने की थी। पूरे प्रकरण में शिकायतकर्ता व जांचधिकारी सहित 12 पुलिसकर्मियों को गवाह बनाया था। 4 विशेषज्ञ गवाह भी बनाए गए थे। पुलिस ऐसा एक भी गवाह पेश नहीं कर सकी जिससे प्रमाणित हो सके कि घटना में यही शामिल थे। हालांकि पुलिस ने चार्जशीट में आरोपितों से ही खून से सनी शर्ट, वारदात में प्रयोग की गई बाइक व डंडे को सबूत के तौर पर पेश किया गया था।
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इंस्पेक्टर मुकेश कानूनगो व सिपाही रामप्रकाश की हत्या में शामिल
फतेहपुर में सात अक्टूबर 2018 को अजय चौधरी, जगदीप धनकड़, दिनेश लारा, कैलाश नागौरी ने ताबडतोड फायरिंग कर इंस्पेक्टर मुकेश कानूनगो व सिपाही रामप्रकाश की हत्या कर दी थी। पुलिस टीम बदमाशों का पीछा कर रही थी। अचानक वे अंधेरे का लाभ उठाते समय सामने आ गए थे। फायरिंग में मुकेशकानूनगो की गर्दन व सिपाही रामप्रकाश की छाती में गोली लगी थी। इस दौरान उनके साथ सिपाही सांवरमल व रमेश भी मौजूद थे। जांच के दौरान सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। दिनेश लारा के खिलाफ फ तेहपुर में 16 अक्टूबर को ज्वैल्र्स भगवती प्रसाद सोनी की दुकान में लूट में शामिल होने का मुकदमा दर्ज हुआ था। लारा के खिलाफ गंभीर अपराध के कुल 5 ऑपराधिक मुकदमें दर्ज हुए थे।
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गश्त पर थे पुलिसकर्मी उन्हें ही बनाया चश्मदीद गवाह
घटना 23 अक्टूबर 2013 को हुई। एएसआई महमूद हसन, कंस्टेबल टोडरमल, जयप्रकाश व चालक रामदेव सायंकालीन गश्त पर थे। रात को नौ बजकर 20 मिनट पर रतनगढ़ बाइपास पर पहुंचे तो एएसआई ओमप्रकाश के घायल होने का पता लगा। तब वे सरदारपुरा चौराहे पर पहुंचे तो लहुलुहान अवस्था में ओमप्रकाश मिले। कोर्ट में घटना को लेकर एएसआई महमूद खान, कांस्टेबल टोडरमल, जयप्रकाश और रामदेव को ही चश्मदीद गवाह बनाया गया। पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में घटना में शामिल आरोपियों को देखे जाने की पुष्टि नहीं की।
एएसआई खाना लेकर गए, होटल मालिक ने पुष्टि नहीं की
एएसआई ओमप्रकाश घटना के दिन शाम को बाइक से सम्राट होटल से खाना लेकर जा रहे थे। होटल मालिक मदनलाल ने भी अपने बयानों में घटना को लेकर पुष्टि नहीं की। उन्होंने कहा था कि ओमप्रकाश होटल में खाना लेने आए थे और बाइक लेकर चले गए। उनके होटल में 5-7 कर्मचारी काम करते है। उन्होंने कोर्ट में बताया कि साढे नौ बजे उन्हें सरदारपुरा स्टैंड पर हादसे की सूचना मिली थी।
घटना को देखने वाला गवाह पेश नहीं कर सकी पुलिस
कोर्ट में एक भी ऐसा गवाह पेश नहीं कर सकी कि जिससे साबित हो सके कि वारदात में दिनेश लारा व अन्य शामिल थे। घटना सरदारपुरा चौराहे पर चौधरी धर्म कांटे के पास सुनसान जगह पर हुई थी। पुलिस घटना में किसी प्रकार का सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य सबूत जुटा नहीं सकी। पुलिस ने वारदात में प्रयोग किया डंडा बरामद किया और खून लगी मिट्टी सबूत के तौर पर ली। वारदात के दौरान काम में ली बाइक बरामद की व खून से सनी शर्ट भी बरामद की थी। जिसे खेजड़ी के पेड़ के नीचे दबा दिया गया था। एएसआई ओमप्रकाश के परिवार की ओर रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई गई थी।