नवरात्रि की तैयारी जोरो पर, दुर्गा प्रतिमा को अंतिम रूप देने मे जुटे कारीगर
नवरात्रि की तैयारी जोरो पर, दुर्गा प्रतिमा को अंतिम रूप देने मे जुटे कारीगर, २९ सितंबर को पंडालो मे विराजेगी दुर्गा प्रतिमा, बडी प्रतिमा के लिए सीधी की जगह रीवा मे कराई गई बुकिंग
बडी प्रतिमा के लिए सीधी की जगह रीवा मे कराई गई बुकिंग
सीधी। नवरात्रि को लेकर तैयारियों जोरों पर हैं। लोगों को जहां इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार है वहीं मूर्ति कलाकार दुर्गा प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इन कलाकारों का कहना है कि मूर्ति बनाने का सामान इस बार महंगा हो जाने के कारण मूर्ति का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। इससे कलाकारों के व्यवसाय पर संकट पैदा हो गया है। पश्चिम बंगाल से सीधी आए मूर्ति कलाकार बिगत कई माह से मूर्ति बनाने में जुटे हैं। बता दें कि मां देवी की आराधना का पर्व नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर से हो जाएगी। श्रद्वालु मां शक्ति रूपेण की भक्ति में उपवास रखकर नौ दिनों तक लीन रहेंगे। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा घर-घर में श्रद्धा भक्ति के साथ की जाती है। मंदिर प्रबंधन ओैर झांकी समितियों द्वारा इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। सीधी सहित पश्चिम बंगाल के कलाकारों द्वारा अंबे की प्रतिमा तैयार की जा रही है। शहर और क्षेत्रों में मां अंबे की स्थापना के लिए बड़े-बड़े पंडाल सजाए जा रहे हैं। श्रद्धालु इन पंडालों पर लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं। गली-मोहल्लों में सार्वजनिक रूप से माता की स्थापना की जाएगी। सीधी नगर में नवरात्रि को लेकर पहले से तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस दौरान समितियों द्वारा रोजाना धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। रोजाना नौ दिनों तक मां दुर्गा की महाआरती की जाएगी। जिसमें श्रद्धालु भी आस्था के साथ पहुंचकर धार्मिक कार्यक्रम में सहभागिता प्रदर्शित करेंगे।
नवरात्र के नौ दिन में छह विशेष योग-
शारदेय नवरात्रि को लेकर शहर के दुर्गा मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं जिसके चलते मंदिरों में साफ सफाई के साथ रंगाई-पुताई का काम होने लगा है। पितृपक्ष के समाप्त होते ही शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाएंगे। 29 सितंबर रविवार को आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना की जाएगी। कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना और पूजा पाठ विधिवत रूप होगी। 7 अक्टूबर को महानवमी और 8 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। ज्योतिषविदों के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में 6 दिन विशेष योग बनेंगे जिसकी वजह से नवरात्रि की पूजा काफी शुभ और फलदायी होगी। 2 दिन अमृत सिद्धि 2 दिन सर्वार्थ सिद्धि और 2 दिन रवि योग बनेंगे। पंडित रवींद्र मिश्र के अनुसार शारदीय नवरात्रि का महत्व गृहस्थ साधकों में ज्यादा रहता है। इस नवरात्रि में देवी मंदिरों में विशेष तैयारी की जाती है। शक्ति की साधना करने बालों के अलावा गृहस्थ साधकों के लिए भी इस बार शारदीय नवरात्रि खास संयोग लेकर आ रही है।
हस्त नक्षत्र में शुरुआत-
पंडित राधेश्याम शास्त्री के अनुसार प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर रात 11.55 से है जो दूसरे दिन रविवार को पूरे दिन रात 8.15 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र 28 सितंबर को रात 10.03 बजे से है और दूसरे दिन शाम 7.7 तक रहेगा। 29 को घट स्थापना, प्रथम मुहूर्त- सुबह 9.15 से 12.20 दूसरा मुहूर्त- दोपहर 1.45 से 3.45 तीसरा मुहूर्त- गोधूलि बेला 6.15 से रात 9.45 तक रहेगा।
मिट्टी हुई महंगी-
कारीगरों की माने तो मूर्ति को बनाने में तीन प्रकार की मिट्टी उपयोग की जाती है। पहले खेतों की मिट्टी, फिर कानपुर का बालू और अंत में कोलकाता से लाई गई चिकनी मिट्टी का उपयोग कर मूर्ति को संवारा जाता है। चिकनी मिट्टी बंगाल में सस्ती होने के बाद भी यहां तक आने में खर्चों की वजह से इसकी लागत बढ़ जाती है।
नौ दिनों तक आराधना-
नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालु मां देवी की भक्ति में नौ दिनों तक उपवास रखकर भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि में हर तरफ मां की जयकारों की गूंज सुनाई देती है। कोई भक्त नंगे पैर रहकर मां की आराधना करता है तो कोई निर्जला व्रत रखकर आराधना करता है। साथ ही सजाए गए पंडालों और मंदिरों में सुबह-शाम आरती के साथ ही भजन संध्या और जगरातों का आयोजन किया जाता है।
किस दिन कौन सा योग-
29 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना, 30 सितंबर को सिद्धि योग, 1 अक्टूबर को रवि योग, 2 अक्टूबर को अमृत और सिद्धि योग, 3 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि, 4 अक्टूबर को रवि योग, 5 अक्टूबर को रवि योग, 6 अक्टूबर को सर्वसिद्धि योग रहेगा।
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