कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन के अफसरों ने बताया, 6 साल की मादा चीता वीरा पहली बार मां बनने जा रही है। उसकी विशेष देखभाल की जा रही है। निगरानी के लिए 24 घंटे दो लोगों की टीम लगाई है। उसके मूवमेंट वाले क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे बढ़ाए गए हैं।
अकेले रहना पसंद
दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता वीरा ने अपने रहन-सहन से केयर टेकरों का ध्यान खींचा है। एक विशेषज्ञ ने बताया, वह अन्य चीतों से अलग है। अकेले रहना पसंद करती है।
18वां चीता शावक लेगा जन्म
सबकुछ कुशल-मंगल रहा तो भारत में जन्म लेने वाला ये 18वां शावक होगा। दरअसल अब 20 चीतों को भारत में पुनर्स्थापित करने के बाद 17 शावक जन्म ले चुके हैं। लेकिन 5 शावकों की मौत के बाद वर्तमान में 12 शावक कूनो नेशनल पार्क में चीता परिवार का हिस्सा हैं।
सीएम ने ट्विट कर दी खुशखबरी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि कूनो में आने वाली हैं खुशियां। देश के ‘चीता स्टेट’ मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जल्द ही मादा चीता नए शावकों को जन्म देने वाली है। यह खबर ‘चीता प्रोजेक्ट’ की बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में शुरू किया गया ये प्रोजेक्ट पारिस्थितिक संतुलन को निरन्तर बेहतर बनाने वाला सिद्ध हो रहा है।
शहर के करीब पहुंच गई थी वीरा
बता दें कि मई 2024 में वीरा कूनो की सीमाओं से बाहर निकल गई थी। मुरैना के जौरा और पहाड़गढ़ होते हुए ग्वालियर के बागवाला गांव में पहुंच गई थी। यह पहली बार था जब वह किसी शहर के इतने करीब पहुंची थी। पार्क के बाहर उसने बकरियों के झुंड पर हमला किया, जिसमें एक चरवाहे के सामने तीन बकरियों को मार डाला। वन्यजीव अधिकारियों ने उसकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी और उसे सफलतापूर्वक कूनो नेशनल पार्क में वापस ले आए।
6 बकरियों का किया था शिकार
वीरा और एक अन्य चीता पवन, दोनों पार्क के बाहर घूमते देखे गए हैं। पवन को हाल ही में राजस्थान के करोली से वापस लाया गया था। इस साल की शुरुआत में अप्रैल में वीरा को मुरैना के जौरा, पहाड़गढ़ और कैलारस इलाकों में घूमने के बाद बचाया गया था। बाहर रहने के दौरान उसने एक नीलगाय का शिकार किया और लगभग छह बकरियों का शिकार किया। वन अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि वीरा अब सुरक्षित रूप से कूनो नेशनल पार्क में वापस आ गई है, जहां उसकी गर्भावस्था चीता आबादी के लिए नई आशा लेकर आई है। नए शावकों के आगमन की प्रत्याशा के साथ, यह खबर मध्य प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण प्रयासों और प्रोजेक्ट चीता की सफलता के लिए मील का पत्थर है।