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श्योपुर

बब्बर शेरों का घर बसाने बेघर किए जाएंगे बागचा के 265 परिवार

कूनो नेशनल पार्क से बागचा गांव के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू, जिला प्रशासन की बैठक के बाद परिवारों के सत्यापन के लिए राजस्व और वन विभाग के संयुक्त दल गठित, विस्थापन में 10 लाख प्रति परिवार मिलेगा मुआवजा, साढ़े 26 करोड़ रुपए होंगे खर्च

श्योपुरJun 12, 2020 / 08:43 pm

jay singh gurjar

बब्बर शेरों का घर बसाने बेघर किए जाएंगे बागचा के 265 परिवार

बब्बर शेरों का घर बसाने बेघर किए जाएंगे बागचा के 265 परिवार

श्योपुर,
गुजरात गिर के बब्बर शेरों(एशियाई शेर) का कूनो नेशनल पार्क को दूसरा घर बसाने के लिए 24 साल पहले विस्थापित किए जा चुके 24 गांवों के बाद अब 25वें गांव के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि ढाई दशक बाद और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यहां बब्बर शेर नहीं आ पाए हैं, लेकिन अब बागचा गांव को विस्थापित किया जाएगा। जिसके लिए जिला प्रशासन की बैठक भी हो चुकी है और अब गांव के परिवारों के सत्यापन के लिए राजस्व और वन विभाग संयुक्त दल भी गठित कर दिए गए हैं। हालांकि दोनों विभागों के संयुक्त दल के सत्यापन रिपोर्ट के बाद ही विस्थापित परिवारों की अंतिम सूची तय होगी, लेकिन प्रारंभिक रूप से पूर्व में बागचा के 265 परिवारों को सूचीबद्ध किया गया था। बताया गया है कि बागचा गांव के विस्थापन पर साढ़े 26 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

उल्लेखनीय है कि तीन दशक पहले संरक्षित किए गए कूनो अभयारण्य का दायरा 352 वर्ग किमी का था, जिसे बढ़ाकर डेढ़ साल पहले 748 वर्ग किमी किया गया, साथ ही नेशनल पार्क का दर्जा भी दे दिया गया। यही वजह है कि रकबा बढ़ाने के कारण पहले बफर जोन मेें शामिल बागचा गांव अब नेशनल पार्क में आ गया, लिहाजा कूनो वनमंडल ने तत्समय से ही बागचा को विस्थापन का प्रस्ताव शासन को भेजा था। जिसे शासन ने मंजूरी दे दी। यही वजह है कि अब विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए पिछले दिनों कलेक्टर श्योपुर की अध्यक्षता में विस्थापन संबंधी बैठक आयोजित की गई, जिसमें बताया गया कि प्रारंभिक रूप से 265 परिवार सूचीबद्ध किए गए हैं। लेकिन वास्तविक परिवारों के सत्यापन के लिए कलेक्टर के आदेश पर एसडीएम कराहल ने राजस्व और वन विभाग के कर्मचारियों के संयुक्त रूप से चार दल बनाए हैं, जो सत्यापन और सर्वे के बाद अपनी सूची देंगे, जिसके बाद अंतिम सूची प्रकाशित होगी। विस्थापन के लिए मुआवजे में प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे, जिसके तहत शासन ने 26.50 करोड़ रुपए न केवल स्वीकृत कर दिए हैं, बल्कि 12 करोड़ 50 लाख रुपए कूनो वनमंडल को जारी कर दिए हैं। अब कूनो वनमंडल इस राशि को श्योपुर कलेक्टर के खाते में डालेगा। जिसके बाद मुआवजा वितरण की कार्यवाही शुरू होगी। वहीं दूसरी ओर विस्थापितों को जमीन और आवास लेने का भी विकल्प रहेगा, जिसके लिए राजस्व विभाग की जमीन भी तलाशी जा रही है।

24 गांव के 1545 परिवार पहले हो चुके विस्थापित
लगभग तीन दशक पहले स्थापित किए गए कूनो अभयारण्य में वर्ष 1994 में गुजरात के गिर के एशियाई शेरों को बसाने के लिए कूनो का चयन किया गया। यही वजह है कि वर्ष 1995-96 में ही तत्समय के कूनो अभयारण्य के दायरे में आने वाले 24 गांवों को विस्थापित किया गया। यही वजह है कि इन 24 गांवों के 1545 परिवार विस्थापन का दंश झेलकर दूसरी जगह चले गए हैं, लेकिन कूनो में आज तक शेरों की शिफ्ंिटग नहीं हो पाई है। बावजूद इसके अब 25वें गांव बागचा को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

गिर में हो गए 674 एशियाई सिंह, फिर भी देने को तैयार नहीं गुजरात
गुजरात के गिर से कूनो नेशनल पार्क में एशियाई सिंहों को लाने का ये प्रोजेक्ट बीते 30 सालों से चल रहा है, लेकिन अभी भी गुजरात शेर देने को तैयार नहीं है, जबकि सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2013 में ही शेरों की शिफ्ंिटग का आदेश दे चुका है। विशेष बात यह है कि गिर में भी एशियाई शेरों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ताजा गणना में यहां 676 शेर सामने आए हैं। गिर में लगातार शेरों की संख्या बढऩे के बाद भी कूनो में शेर देने में गुजरात आनाकानी कर रहा है। विशेष बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के बाद गठित एक्सपर्ट कमेटी की बैठक भी बीते काफी समय से नहीं हुई है, जबकि कमेटी की अनुशंसा के बाद कूनो का दायरा बढ़ा दिया और नेशनल पार्क का दर्जा भी दे दिया।

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