जिले के जैतपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम मुसरा के आदीवासी ग्रामीण बच्चों का कहना है कि, वैसे तो उन्हें शहरी बच्चों की तरह आधुनिक झूलों पर झूलने का मौका नहीं मिल पाता। तो उन्होंने गांव में ही पड़े कबाड़, साइकिल के टायर और लकड़ियों से देसी जुगाड़ करके एक नेक्स्ट लेवल झूला बना डाला। अब एक तरफ जहां इस झूले पर झूलकर बच्चे झूम रहे हैं तो वहीं, वायरल हुए इसके वीडियो को देख लोगों का कहना है कि, इन बच्चों ने उन्हें उनका बचपन याद दिला दिया।
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क्यों खास है ये झूला ?
हम भारतीय पैदाइशी जुगाड़ू होते हैं। इसका सटीक उदाहरण दिया इन ग्रामीण बच्चों ने और गांव में पड़े कबाड़ के सामान, साइकिल के टायर और लकड़ी से देसी जुगाड़ से एक झूला बनाकर दिखा दिया। बच्चों ने देशी झूले में तकनीकी चीजों का भी खास ध्यान रखा और बना दिया एक नेक्स्ट लेवल का देसी झूला। झूले की खास बात ये है कि, इसे आम के पेड़ की उस टहनी से कसा गया है जो झूलने के दौरान वाइब्रेट होती, ये एक तरह के सस्पेंशन का काम करती है। ऐसे में लोड ज्यादा होने और झूलने की गति तेज होने पर सस्पेंशन का काम करती है और इससे झूला टूटने का खतरा भी नहीं रहता।
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सोशल मीडिया पर चर्चा
इस वीडियो को देखकर लोग बच्चों की क्रिएटिविटी की खासा सराहना कर रहे हैं। तो कई लोगों ये भी कहना है कि, इन बच्चों ने उन्हें उनका बचपन याद दिला दिया। फिलहाल, इस वीडियो को देखकर ये बात तो साबित हो गई कि, बारतीय जुगाड़ का कोई तोड़ नहीं है।