डीएमएफ से छतवई हथकरघा केंद्र को मिलेगा नया जीवन, आसान होगी रोजगार की राह
जिला प्रशासन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 50 लाख रुपए, प्रशिक्षण व रोजगार के लिए 60 लाख रुपए का भेजा प्रस्ताव
शहडोल. जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर छतवई स्थित हथकरघा केंद्र जल्द ही प्रारंभ होगा। यहां कालीन बुनाई व कारपेट निर्माण का कार्य प्रारंभ करने जिला प्रशासन ने पहल की है। इसके कायाकल्प व आवश्यक निर्माण कार्य के लिए डीएमएफ मद से प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। जिला प्रशासन की माने तो इसे स्वीकृति मिलने के साथ ही आगे की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। साथ ही वर्ष भर के लिए लोगों को प्रशिक्षण व रोजगार प्रदान करने की भी समुचित व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि यह हथकरघा केंद्र देखरेख व संरक्षण के अभाव में लगभग 12 वर्ष से बंद है। इससे जुड़े स्थानीय व आस-पास के ग्रामीणों के हाथ से रोजगार छिन गया है, साथ ही युवाओं को भी हस्तकला का प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। इसे पुन: प्रारंभ करने पूर्व में प्रयास हुए थे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल ने प्रस्ताव तैयार कर शासन स्तर पर भेजा था।
डीएमएफ मद से 1 करोड़ 10 लाख का प्रस्ताव
कलेक्टर डॉ केदार सिंह ने छतवई हथकरघा केंद्र के संचालन के लिए डीएमएफ मद से 1 करोड़ 10 लाख का प्रस्ताव तैयार कर शासन स्तर पर भेजा है। इसमें 50 लाख रुपए केंद्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए व 60 लाख रुपए युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने व रोजगार से जोडऩे के लिए प्रस्तावित किया गया है। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो एक बार फिर से हथकरघा केंद्र प्रारंभ हो सकेगा। इससे छतवई सहित आस-पास के 10-12 गांव के युवाओं को हस्तकला का प्रशिक्षण मिलेगा। साथ ही ग्रामीण स्वरोजगार से जुड़ सकेंगे।
बड़े स्तर पर होना है विकास कार्य
जानकारी के अनुसार हथकरधा केंद्र को वृहद स्तर पर विकसित करने की भी कार्य योजना है। इसके लिए कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल ने लगभग 30 करोड़ का प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा है। उनका कहना है कि इसकी स्वीकृति के लिए वह लगातार प्रयासरत है। इसे लेकर वह लगातार पत्राचार करने के साथ स्वयं भी स्वीकृति दिलाने हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो वृहद स्तर पर यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ ही यहां तैयार होने वाले उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं बन सकेंगी।
विस से लेकर विदेश तक भेजी जा चुकी है कालीन
जानकारी के अनुसार यह हथकरघा केंद्र लगभग तीन दशक पुराना है। यहां बनी कालीन विदेश तक में अपनी पहचान बना चुकी है। बताया जा रहा है कि यहां हर माह 50-60 कालीन तैयार होती थी। यह कालीन स्थानीय स्तर के साथ दिल्ली, कोलकाता के अलावा मलेशिया तक गई है। इसके अलवा यहां की कालीन विधानसभा में भी बिछी है। बारीकी से तैयार होने वाली इस कालीन की गुणवत्ता अन्य कालीनों की तुलना में कहीं ज्यादा है। हरकरघा उद्योग की देशभर में अलग पहचान थी। इसके अलावा यहां के ग्रामीणों को भी रोजगार से जोड़ा गया था। अब दोबारा शुरू होने से रोजगार की राह आसान होगी।
इनका कहना है
हथकरघा केंद्र के लिए डीएमएफ मद से 1 करोड़ 10 लाख का प्रस्ताव भेजा है। इसे जल्द ही स्वीकृति भी मिल जाएगी। राशि स्वीकृत होने के साथ ही इसे हम पुन: प्रारंभ करेंगे। इससे युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा और लोग रोजगार से जुड़ सकेंगे।
डॉ. केदार सिंह, कलेक्टर शहडोल
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