समूह से लोन लेकर शुरू की दुकान
सीता ने बताया, इसके बाद वह 2016 में समूह से जुड़ी और 20-20 रुपए की बचत को जमाकर उसी से उन्होंने लेन-देन शुरु किया। समूह से ही सीता ने 10 हजार का लोन लिया और गांव में ही छोटी सी मनिहारी की दुकान खोलकर समूह से लेन-देन करती रहीं। इस दौरान वर्ष 2020 में एनआरएलएम की सहयोग संस्था एसव्हीईपी में उन्होंने आवेदन किया और परीक्षा दी। परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर उन्हें 21 दिन का प्रशिक्षण दिया और वह सीआरपी में शामिल हो गई।सीआरपी में शामिल होने के बाद उन्हें छह फील्ड में समूह की महिलाओं को उद्यम से जोड़ने का काम मिला। चार वर्ष से वह फील्ड विजिट कर समूहों की बैठक लेना, प्रस्ताव बनाकर बीआरसी में जमा कराना, महिलाओं को उद्यम से जोड़ने का कार्य कर रही हैं। अब तक वह 103 इंटरप्राइजेज कर चुकी हैं। साथ ही वह अपने कारोबार को भी बढ़ाती रही। पहले उन्होंने 20 हजार रुपए का लोन लेकर फोटोकॉपी की मशीन खरीदी। इसके बाद 50 हजार रुपए सीएलएफ से लोन लिया और दुकान को पूरी तरह से व्यवस्थित कर लिया