मेडिकल कॉलेज की नाटॉमी विभाग को चिकित्सा की बारीकियां सिखाने मृत मानव शरीरों की जरूरत पड़ती है। हालांकि सिवनी में खुले मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए त्वरित डेड बॉडी नहीं मिल पाई। ऐसे में डीन ने जबलपुर से डेड बॉडी मंगाई। इससे मेडिकल छात्रों को पढ़ाई में चिकित्सा बारीकियां सीखने में काफी मदद हो जाएगी। भविष्य में सिवनी वासियों को भी देहदान के प्रति जागरूकता होना होगा। इसके पीछे वजह यह है कि मेडिकल छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए बॉडी की काफी आवश्यकता हमेशा रहती है। देहदान से ही इस आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
सिवनी में पहली बार खुले मेडिकल कॉलेज में प्रदेश एवं देश के दूर-दराज से बच्चे एमबीबीएस की पढ़ाई करने आए हैं। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन इन विद्यार्थियों की सुविधा में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की भी प्रर्याप्त व्यवस्था हो गई है। जबकि इससे पहे फैकल्टी कम होने की वजह से मान्यता अटक गई थी। अध्यापन ठीक से हो इसके लिए कमर कस लिया गया है। फैकल्टी को दुरूस्त करने में प्रबंधन का पूरा फोकस है। नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) के मानकों के हिसाब से फैकल्टीयों पर प्रबंधन का फोकस है।
सिवनी में मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर लंबी मांग रही। इसके बाद जनप्रतिनिधियों ने काफी प्रयास किया। परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में मान्यता मिल गई। हालांकि शिलान्यस लगभग 10 साल पहले हो गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी आधारशिला रखी थी। हालांकि इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पड़ोसी जिला छिंदवाड़ा में मेडिकल कॉलेज खुल गया, लेकिन सबसे बड़ी दरकार जिस जिले को थी वह खाली रह गया। प्रयास होते रहे और अंतत: सफलता मिली। अब चंद दिनों बाद 328 करोड़ के मेडिकल कॉलेज में अध्यापन का कार्य शुरु होगा।
शासकीय मेडिकल कॉलेज सिवनी में एमबीबीएस की 99 सीट पर दाखिला प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। एक सीट शेष है। वह भी जल्द भर जाएगा। 14 अक्टूबर से पढ़ाई भी शुरु हो चुकी है। विद्यार्थी भी काफी खुश हैं। उन्हें पूरी सुविधा दी जा रही है। मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण 29 अक्टूबर को सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से करेंगे। मेरी पीएमओ कार्यालय में बात हुई है।
डॉ. परवेज, डीन, मेडिकल कॉलेज, सिवनी