सिवनी

भगवान श्रीकृष्ण ने की भक्तों के मन की चोरी

भागवत कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन

सिवनीJan 18, 2025 / 09:50 am

ashish mishra

छपारा. नगर के बैंनगंगा नदी पुल घाट पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन रविवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कथावाचक कन्हैया महाराज बरसाना ने किया। कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे न तो कर्तव्य का अभिमान है और न ही सुखी रहने की इच्छा बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृत्यु के लिए राज्य की सबसे बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। राक्षसी पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, लेकिन भगवान उसका वध कर देते हैं। कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन कार्यक्रम की तैयारी करते हैं, लेकिन भगवान कृष्ण उनको इंद्र की पूजा करने से मना कर देते हैं और गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहते हैं। यह बात सुनकर भगवान इंद्र नाराज हो जाते हैं और गोकुल को बहाने के लिए भारी वर्षा करते हैं। इसे देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देखकर भगवान कृष्ण कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी लोगों को उसके नीचे छिपा लेते हैं। भगवान द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर लोगों को बचाने से इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया। मथुरा को कंस के आतंक से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया। कथा का श्रवण करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

Hindi News / Seoni / भगवान श्रीकृष्ण ने की भक्तों के मन की चोरी

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.