डैम का अतिस्व भी हुआ खत्म
नाला का पानी टैमर नदी में जाकर मिलता है। नाले का पानी का उपयोग ग्रामीण करते थे। इसके अलावा नहाने, मवेशियों को पानी पिलाने के लिए भी उपयोग किया जाता था। वर्ष 1996 में क्षेत्र में डैम भी बनाया गया था, लेकिन राख की वजह से डैम का अस्तित्व भी खत्म हो गया है। लगभग आधा दर्जन गांव के मवेशी इसी डैम का पानी पीते थे। वन्य प्राणी भी क्षेत्र में बहुतायत में हैं। गर्मी के दिनों में वह भी डैम का पानी पीते थे। अब राख का भराव इतना हो गया है कि वहां जाना मुश्किल है।
कलेक्टर ने भी किया था निरीक्षण
समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपा। एसडीएम ने सडक़ पर उड़ते हुए राख के कण को लेकर प्रबंधन को निर्देशित किया। इसके बाद अब प्रबंधन नियम के अनुसार ट्रकों में राख भरकर ले जा रहा है। हालांकि अभी जल स्त्रोत को लेकर कारगर उपाय नहीं किए गए हैं। जबकि लगभग दो माह पहले कलेक्टर ने भी अवलोकन किया था। नाले की समस्या जस की तस बनी हुई है। किसान मोहन यादव, मनी बैगा, लालसिंह उइके, किशोरी यादव सहित अन्य किसानों का कहना है कि पावर प्लांट ने उनकी आजीविका छीन ली है। नाले के माध्यम से खेतों में राख जमा हो गई है। इससे उत्पादकता पर प्रभाव पड़ रहा है और जमीन बंजर हो रही है।