केंद्रीय परिवहन विभाग की मानें, तो अगर इस तरह का हाइवे सफल रहा, तो देशभर से गुजरने वाली सड़कों हाइवे पर इसी व्यवस्था के तहत डेवलपमेंट किया जाएगा। इस तरह की व्यवस्था न सिर्फ वन्यजीवों बल्कि आम जन के लिये भी बेहद फायदेमंद होगी। इसका मुख्य लाभ नागरिकों और ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को होगा।
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10 साल अटका रहा प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि, पेंच राष्ट्रीय उद्यान के बफर एरिया में होने के चलते जिले के मोहगांव से खवासा के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच 29 किलोमीटर हिस्से का निर्माण पिछले दस साल से अटका हिआ था। जंगल का प्राकृतिक रास्ता हाई-वे को क्रास कर पेंच से कान्हा (कॉरिडोर) नैशनल पार्क को जोड़ता है। आवाजाही के लिए वन्यप्राणी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए वन विभाग ने वन्य जीवों की सुरक्षा की शर्तो को मद्देनजर रखते हुए सड़क निर्माण की अनुमति मिली थी। इसलिए पहले के प्रोजेक्ट मे बड़े बदलाव करते हुए इसे और हाइटेक बनाया गया।
4 मीटर ऊंची दीवार तैयार
करीब 5 मीटर ऊंचे ऐनिमल अंडर पास के ऊपरी हिस्से से वाहन निकलेंगे जबकि निचले हिस्से से वन्यप्राणियों की आवाजाही हो सकेगी। वन्यक्षेत्र की 21.69 किलोमीटर फोरलेन सड़क एवं अंडरपास के दोनों किनारों पर साउंड बैरियर और हेडलाइट रिड्यूजर लगाकर लगभग 4 मीटर ऊंची दीवार तैयार की गई है। इससे भारी वाहनों के हेडलाइट की तेज रोशनी व शोरगुल जंगल तक नहीं पहुंचेगी। ट्रेफिक का असर वन्य प्राणियों पर भी नहीं पड़ सकेगा।
वन्यजीवों की सुरक्षा पर बड़ा कदम
वन्यजीवों के सड़क पार करने के लिए राजमार्ग के 3.5 किलोमीटर हिस्से में 14 ऐनिमल अंडर पास का निर्माण भी किया गया है। साथ ही पानी निकासी के लिए 58 कलवर्ट (पुलिया) में से 18 ऐनिमल क्रॉसिंग कलवर्ट भी बनाए गए हैं, ताकि वन्यजीव हाइवे पर आए बिना ही सड़क पार लेंगे। सबसे अच्छी बात ये है कि वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक रास्ता बनाए रखने का इंतजाम हाईवे में ही किया गया है।