अब मिलेगी अच्छी कीमत
अभी तक कई अंतरराष्ट्रीय कंपनी शरबती गेहूं को किसानों से सस्ते दाम पर खरीदकर अपने टैग के साथ बाजार में महंगे दामों पर बेचती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। सीहोर के शरबती की पहचान सीहोर के नाम से ही होगी।
शरबती गेहूं सीहोर का मुख्य उत्पादक जिला सीहोर के साथ विदिशा में उगाई जाने वाली गेहूं की एक क्षेत्रीय किस्म है, जिसके दानों में सुनहरी चमक होती है। इस गेहूं की रोटी में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शरबती गेहूं का आटा देश में उच्चतम गुणवत्ता वाला माना गया है। जिले में इस बार शरबती गेहूं का रकबा करीब 32 हजार हेक्टेयर है।
इसलिए खास है सीहोर का शरबती गेहूं
देश में गेहूं की सबसे प्रीमियम किस्म शरबती ही है। इसे ‘द गोल्डन ग्रेन’ भी कहा जाता है। यह हथेली पर भारी लगता है और स्वाद मीठा होता है। शरबती में गेहूं की दूसरी किस्मों की तुलना में ग्लूकोज और सुक्रोज की मात्रा अधिक होती है।
इसलिए अच्छी पैदावार
सीहोर में शरबती की सबसे ज्यादा पैदावार होती है, क्योंकि इस क्षेत्र में काली और जलोढ़ मिट्टी है, जो शरबती गेहूं के लिए सबसे बेहतर होती है। प्रदेश में शरबती गेहूं सीहोर के साथ नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, हरदा, अशोकनगर, देवास, विदिशा, भोपाल और मालवा क्षेत्र के जिलों में भी होती है।
दो साल तक चली दावे पर सुनवाई
शरबती गेहूं के जीआइ टैग के लिए आवेदन क्रमांक 699 रेवा फार्मर्स प्रोडूसर कंपनी लिमिटेड की तरफ से 8 सितंबर 2020 को किया गया था। लंबे समय तक दावे पर सुनवाई चली। इसके बाद 22 फरवरी 2023 को इसे जीआइ टैग दे दिया गया। यह जीआइ टैग 7 सितंबर 2030 तक के लिए है। रेवा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के प्रकाश मीणा ने बताया कि एफपीओ से करीब 545 किसान जुड़े हुए हैं। कंपनी ने देवास, सीहोर, विदिशा और रायसेन जिले के लिए दावा पेश किया था, जिसमें से सीहोर और विदिशा में उगाए जाने वाले शरबती गेहूं को जीआइ टैग मिला है।