सीहोर जिले की कीमती धरोहर
इंटरनेट पर सीहोर जिले के देवबड़ला के प्राचीन शिवालय के बारे में काफी लोग सर्च कर रहे हैं। कई लोग भोपाल से देवबड़ला (bhopal to devbadla 114 km ) इसकी दूरी भी खोज रहे हैं। जावर क्षेत्र के घने जंगल के बीच स्थित प्राचीन देवबड़ला सीहोर जिले की एक धरोहर है। देवबड़ला में प्राचीन भगवान भोलेनाथ का मंदिर है, जो हरियाली से घिरा हुआ है। यहां आने वाले पर्यटकों को यह स्थान बार-बार अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यहीं कारण है कि हर दिन यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। पहले यहां आसपास गांव के लोग ही पहुंचने थे, लेकिन जब से पर्यटन विकास निगम ने यहां पर पुरा धरोहर को सहेजने का काम शुरू किया है, पर्यटकों की संख्या भी बढऩे लगी है। अब यहां प्रदेशभर से लोग घूमने आते हैं, यहां के खूबसूरत पलों को मोबाइल में कैद करते हैं।
2016 में मिली थी दुर्लभ प्रतिमाएं
जावर के बीलपान ग्राम पंचायत के तहत आने वाले ऐतिहासिक देवबड़ला देवाचंल धाम का इतिहास करीब 1100 साल पुराना है। साल 2016 में दुर्लभ प्रतिमा होने की जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग ने जनवरी 2017 में खुदाई शुरू की थी। इसमें परमाकालीन दो मंदिर मिले थे। इन मंदिरों से 11वीं, 12वीं शताब्दी की 20 प्राचीन व दुर्लभ प्रतिमा थी। मंदिर क्रमांक एक शिव मंदिर और मंदिर क्रमांक दो विष्णु मंदिर से मिली प्रतिमा हिन्दू देवी देवताओं की थी। इनमें ब्रमदेव, गौरी, भैरव, भूवराह, देवी लक्ष्मी, योगिनी और शिव नटराज की प्राचीन प्रतिमाएं शामिल थी। पुरातत्व विभाग वर्तमान में यहां 51 फीट ऊंचाई के दो मंदिर का निर्माण करा रहा है, जिसमें एक का काम पूरा हो गया है, जबकि दूसरे का चल रहा है।
इसलिए मिली पहचान
देवबड़ला मंदिर समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले कुंवर विजेंद्र सिंह भाटी बताते हैं कि साल 1990 में आमला ताज के पूर्व विधायक डॉ. तेज सिंह ने विधानसभा में इसका मुद्दा उठाया था। जिसमें देवबड़ला को पुरात्व विभाग में शामिल कर इसका कायाकल्प करने की बात कहीं थी। 26 साल तक चली मशक्कत के बाद पांच साल पहले पुरातत्व विभाग ने संज्ञान लिया था। भाटी बताते हैं कि डॉ. तेजसिंह ने देवबड़ला पर तपोभूमि देवबड़ला एवं नेवज नदी उद्गम स्थल नामक पुस्तक भी लिखी है।
पर्यटन स्थल के रूप में शामिल हुआ देवबड़ला
देवबड़ला समिति के अध्यक्ष ओमकार सिंह भगत 30 साल पहले इस स्थान पर शिफ्ट हुए, तभी से उन्होंने देवबड़ला स्थल को संवारने का काम शुरु किया। यह प्रयास रंग भी लाया। अब देवबड़ला का नाम पर्यटन स्थल में शामिल हो गया है। हर साल महाशिरात्रि पर मेला लगता है, जिसमें 50 हजार से अधिक लोग सम्मिलित होते हैं। इस स्थान की एक खासियत यह भी है कि नेवज नदी का उद्गम यही से हुआ है। वहीं दूसरी बड़ी बात यह है कि यह देवास जिले की सीमा से सिर्फ 500 फीट की दूरी पर है।