मार्केट में मिलने वाले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की लागत जहां तीस से चालीस हजार रुपये होती है, यहां तैयार कंसंट्रेटर की लागत बीस हजार रुपये से कम है। यह प्रति मिनट तीन लीटर ऑक्सीजन बनाता है। यह ऑक्सीजन 93 प्रतिशत तक शुद्ध है। आइसर इसके इंड्रस्ट्रीयल निर्माण पर विभिन्न कंपनियों से बात कर रहा है। इससे केंद्र, राज्य सरकार और निजी अस्पताल इलाज की लागत कम कर सकेंगे। वैज्ञानिकों की टीम इसे लेकर पिछले तीन माह से रिसर्च कर रही थी।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एण्ड कम्प्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मित्रादीप भट्टाचार्या, डॉ. सुजीत पेड्डा और डॉ. शांतनु तालुकदार तथा केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. वेकंटेश राव रिसर्च टीम में शामिल थे। डॉ. भट्टाचार्या ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत है। सभी राज्यों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत है। ऑक्सीकॉन से प्रारंभिक रूप से मरीजों को फायदा होगा।
जियोलाइट मटेरियल का किया उपयोग… डॉ. भट्टाचार्या के अनुसार टीम ने जियोलाइट मटेरियल से इसकी पैकेजिंग की है। दो जियोलाइट कॉलम में टाइमिंग सीक्वेंस का इस तरह उपयोग किया गया है, जिससे यह अल्टरनेटिव काम करते हैं। हमने टाइम सीक्वेंस माइक्रोप्रोसेसर सर्किट को यहां डेवलप किया है। यह मटेरियल हवा से ऑक्सीजन को खींच लेता है। आमतौर पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में पांच से सात वॉल्व का उपयोग किया जाता है। हमने सिर्फ दो वॉल्व का उपयोग किया है। इससे इसकी लागत कम हुई। साथ ही यह अन्य कंसंट्रेटर की अपेक्षा तेज भी है।
अब पोर्टेबल डिवाइस कर रहे हैं तैयार-
डॉ. भट्टाचार्या ने बताया कि रिसर्च के दौरान ऑक्सीकॉन को दो से तीन घंटे तक लगातर चलाया गया। यह इतनी देर तक वातावरण से ऑक्सीजन खींच सकता है। ऑक्सीकॉन अन्य कंसंट्रेटर के मुकाबले काफी हल्का है। अब पोर्टेबल डिवाइस तैयार किया जा रहा है, जिसे हाथ में लेकर चला जा सके।
ओपन सोर्स… आइसर के डायरेक्टर शिवा उमापति ने बताया कि आइसीएमआर से सॢटफिकेट मिल चुका है। हम इस पेंटेंट को किसी कंपनी विशेष को नहीं देंगे। यह टेक्नोलॉजी ओपन सोर्स रहेगी। आइसर चाहता है कि इसका ज्यादा से ज्यादा कंपनियां निर्माण करें।
पत्रिका आह्वान-
टूटती सांसों को थामने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है। इसलिए पत्रिका आह्वान करता है कि आयसर की खोज का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए सरकार व उद्योग जगत आगे आएं। जल्द ऑक्सीकॉन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जाए।