चांद पर कचरे से भरे 96 बैग वापस लाने की तैयारी कर रहा नासा, जानें क्यों? दरअसल, हवा में फैले हुए वायरस से बचवे के लिए लोग
मास्क लगाते हैं। लेकिन फिर भी इससे पूरी तरह से नहीं बचा जा सकता। मास्क केवल वायरस को फिल्टर करके शरीर में आने से रोकता है, उन्हें खत्म या निष्क्रिय नहीं करता। क्लैक ने बताया कि प्लाज्मा की इस व्यवस्था से गुजरते हुए रेडिकल कहे जाने वाले अस्थिर परमाणु वायरस को ऑक्सीडाइज्ड कर देते हैं। इसके बाद जो वायरस बचता है, उसमें कोशिकाओं को प्रभावित करने की शक्ति नहीं रह जाती है।
भगवान नहीं बल्कि ये चीज तय करती है इंसान की खुशी और गम, जानें कैसे अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह तकनीक आने वाले समय में सर्जिकल मास्क की जगह ले सकती है। प्लाज्मा की यह व्यवस्था हवा से 99.9 फीसद वायरस निष्क्रिय कर सकती है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वायरस को पूरी तरह से खत्म करने का काम कुछ ही सेकेंड के अंदर-अंदर कर देती है।
आमतौर पर ये वायरस अस्पतालों और ऐसी जगहों पर होता है, जहां साफ हवा की होती है, यह तकनीक स्वच्छ हवा में बेहद कारगर साबित होगी। रिसर्च एसोसिएट हेरेक क्लैक के अनुसार- ‘बीमारियों के फैलने का एक बड़ा माध्यम हवा है। इससे बचना मुश्किल होता है, क्योंकि सांस लेते समय वायरस से बचने का हमारे पास कोई तरीका नहीं होता।’
अब रोबोट रखेंगे स्कूल के बच्चों की बदमाशियों पर निगरानी ….वैज्ञानिकों ने तैयार की नई तकनीक अभी हवा से वायरस खत्म करने के लिए फिल्टर (
filter ) और अल्ट्रावॉयलेट किरणों का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि नॉनथर्मल प्लाज्मा से हवा को साफ करने का नया तरीका पारंपरिक तरीकों से ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।