उपग्रहों द्वारा भूमि और समुद्रीय जीवन मापन वर्ष 1970 के दशक के अंत से ही शुरू हो गया था, लेकिन वर्ष 1997 में सी-व्यूइड फील्ड ऑफ व्यू सेंसर (सीडबइएफएस) के प्रक्षेपण के बाद ही भूमि और सागर दोनों की सतत निगरानी की सुविधा मिल पाई है। 20 सालों के बाद इस सप्ताह जारी तस्वीरों व वीडियो के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि पृथ्वी ऋतुओं के साथ कैसे बदल रही है।
मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के समुद्र वैज्ञानिक जीन कार्ल फील्डमैन ने कहा, ये हमारे ग्रह के अविश्वसनीय रूप से ऐसे ²श्य हैं, जो हमें सोचने-समझने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा, यह पृथ्वी है, वह हर दिन सांस ले रही है। मौसम के साथ बदल रही है, सूरज की किरणों, बदलती हवाओं, समुद्र की लहरों और तापमान पर प्रतिक्रिया दे रही है।
नासा के वैश्विक महासागर और भूमि मापन के तीसरे दशक के शुरू होने के साथ ही इन खोजों से महत्वपूर्ण सवाल उभरकर आते हैं कि बदलते वातावरण और भूमि के साथ मानव संपर्क में आए व्यापक परिवर्तनों पर पारिस्थितिकी प्रणाली कैसे प्रतिक्रिया करेगी।
वैज्ञानिक ने कहा, उपग्रहों के मापन में यह पता चला है कि आर्कटिक में हरियाली बढ़ी है, क्योंकि झाडिय़ां अपनी सीमा का विस्तार करती हैं और गर्म तापमान में पनपने लगती है। वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की सांद्रता बढ़ती जा रही है और जलवायु गर्म हो रही है। ऐसे में नासा की यह जानकारी वातावरण में कार्बन की निगरानी में एक महत्वपूर्ण भूमिकानिभा सकती है।