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आकाश में दुश्मनों को शिकस्त देने के लिए भारत अगले महीने करेगा अपना पहला ‘अंतरिक्ष युद्धाभ्यास’

एंटी सैटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण के भारत ने किया ट्राई-सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी की शुरुआत
भारत ने इस नई योजना का नाम रखा है इंडस्पेसएक्स
अभ्यास का मुख्य लक्ष्य है अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा करना है

Jun 08, 2019 / 03:15 pm

Deepika Sharma

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आकाश में दुश्मनों को शिकस्त देने के लिए भारत अगले महीने करेगा अपना पहला ‘अंतरिक्ष युद्धाभ्यास’

नई दिल्ली। आकाश में दुश्मनों को शिकस्त देने के लिए भारत ( india ) अगले महीने अपना पहला अंतरिक्ष ( space )में युद्धाभ्यास करने जा रहा है। इससे पहले इसी साल मार्च (march ) में भारत ने एंटी सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल (missile) का सफल परीक्षण किया था। उसके बाद हाल ही में ट्राई-सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी की भी शुरुआत की गई है। बता दें कि मार्च में ही भारत ने मिशन शक्ति ( Mission shakti )के जरिए चीन को टक्कर दी थी और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत किया था।
भारत ने अंतरिक्ष युद्धाभ्यास की योजना को इंडस्पेसएक्स नाम दिया है। यह अभ्यास बड़े रूप से टेबल-टॉप वार गेम पर आधारित होगा। जिसमें सेना और वैज्ञानिकों ( scientist )के ग्रुप के हितधारक हिस्सा लेंगे। किंतु यह उस गंभीरता को दर्शाता है जिसमें भारत चीन (china ) जैसे देशों से अपनी अंतरिक्ष संपत्ति पर संभावित खतरों का मुकाबला करने की आवश्यकता पर विचार कर रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार-‘अंतरिक्ष में सैन्य साजोसामान से लैस हो रहा है। इसके साथ ही यहां प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य मौजूदा अंतरिक्ष के साथ-साथ काउंटर स्पेस क्षमताओं का आकलन करना है।

एक मीडिया रिपोर्ट ( media report )में एक अन्य अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि- भारत को अंतरिक्ष में विश्वनीय जवाबी क्षमता की जरूरत है। इंडस्पेसएक्स हमें अंतरिक्ष में सामरिक चुनौतियों से बेहतर रूप से निपटने में मदद करेगा।’
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हालांकि इससे पहले भी चीन की और से 2007 में मौसम की जानकारी देने वाले सैटेलाइट के खिलाफ ए-सैट मिसाइल का यूज किया गया था। जिसके जरिए चीन ने अपने सैन्य क्षमताओं को काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक हथियारों के तौर पर अंतरिक्ष में विकसित किया था।
चीन ने इससे पहले जनवरी 2007 को मौसम की जानकारी देने वाले सैटेलाइट के खिलाफ ए-सैट मिसाइल का इस्तेमाल किया था। इससे उसने अपनी सैन्य क्षमताओं को काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक हथियारों के तौर पर अंतरिक्ष में विकसित किया था। साथ ही चीन ने तीन पहले येलो सी में जहाज से सात सैटेसाइटों वाले एक रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। गौरतलब है कि भारत ने ‘मिशन शक्ति’ के जरिए पहली बार काउंटर-स्पेस क्षमता को बढ़ाने की और अपना पहला कदम उठाया है।

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