यह है मामला
हुआ यूं कि भगवतगढ़ पुलिया के पास दिल्ली-मुंबई एक्प्रप्रेस-वे पर 26 मई को एक व्यक्ति दुर्घटना में गंभीर घायल हो गया। सूरवाल पुलिस को व्यक्ति अचेतावस्था में मिला। घायल की जेब से डायरी और पर्ची मिली। इसमें मोबाइल नंबर लिखे थे। पुलिस ने मोबाइल के आधार पर परिजनों का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं उपचार के लिए सामान्य चिकित्सालय सवाईमाधोपुर से चिकित्सकों ने जयपुर रैफर कर दिया। जयपुर में उपचार के दौरान घायल ने दूसरे दिन दम तोड़ दिया। शव को जयपुर अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया। दूसरी ओर पुलिस मोबाइल नंबर के आधार पर श्योपुर सहित अन्य जगह फोटो दिखाई तो मध्यप्रदेश के एक परिवार ने उसे सुरेंद्र शर्मा बताते हुए अपने परिवार का सदस्य बताया। जयपुर जाकर पंचनामा के बाद शव को ले लिया। बाद में अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस की लापरवाही पर भड़के ग्रामीण
सोमवार को पड़ताल में शव की शिनाख्त बौंली क्षेत्र के राठौद-निमोद पंचायत के कराड़ी गांव के राजमल गुर्जर पुत्र नादान गुर्जर के रूप में हुई। इस पर सूरवाल थाना पहुंचकर लोगों ने पांच घंटे तक खरी-खोटी सुनाई। पीड़ित परिवार ने तीन जून को अपने भाई राजमल गुर्जर की गुमशुदगी सूरवाल थाने में दर्ज कराई थी। लोगों ने थाना परिसर में पांच घंटे तक पुलिस कार्यप्रणाली और लापरवाही पर रोष जताया।
पुलिस पर खड़े किए कई सवाल
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने राजमल की गुमशुदगी का मामला समय पर दर्ज नहीं किया। जब मामला दर्ज कराया तो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हुई दुघर्टना में उस समय घायल हुए व्यक्ति राजमल गुर्जर की फोटो नहीं दिखाई। इसे पुलिस अज्ञात मान रही थी। लोगों ने बताया कि राजमल गुर्जर के एक हाथ पर उसका नाम गुदा हुआ था। पुलिस ने मध्यप्रदेश के परिवार को शव सुपुर्द करते समय उसके हाथ पर गुदे नाम से उसकी सही शिनाख्त नहीं की। राजमल गुर्जर की दुर्घटना किस वाहन से हुई, उस समय उसके साथ कौन था इसकी जांच पुलिस अब तक नहीं कर पाई। गफलत में ले गए शव
अचंभे की बात यह थी कि एमपी में जिस शव का सुरेंद्र शर्मा समझ कर अंतिम संस्कार किया गया। वह रविवार को परिवार के सामने आकर खड़ा हो गया। परिवार के सदस्य सुरेंद्र शर्मा को पाकर खुश तो थे, लेकिन जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया था और उसके क्रिया-कर्म अभी पूरे भी नहीं हुए थे, वह कौन था। इस पर मध्यप्रदेश के परिवार ने पड़ताल शुरू की, कि आखिर वह शव किसका था। परिवार के लोग जयपुर गए। वहां से सवाईमाधोपुर अस्पताल और फिर सूरवाल थाने पहुंचे और पूरी बात बताई। जब मामले का खुलासा हुआ।