डेढ़ साल से नहीं स्थाई सभापति
पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से नगरपरिषद की गाड़ी कार्यवाहक सभापति के भरोसे रेंग रही है। उधर, स्थाई सभापति नहीं मिलने व बार-बार हर दो महीने में सभापति बदलने से शहर के विकास कार्य भी ठप पड़े है। पूर्व में वैकल्पिक व्यवस्था के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने नौ मई 2023 को वार्ड नंबर 53 से पार्षद राजबाई बैरवा को कार्यवाहक सभापति नियुक्त किया था। दो माह बाद फिर से नगरपरिषद को स्थाई सभापति नहीं मिला तो राजबाई बैरवा को फिर से कार्यवाहक तौर पर सभापति का चार्ज थमा दिया। इसके बाद विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लग गई। ऐसे में सभापति का कार्यकाल नौ नवबर को पूरा हो गया था। इस दौरान सभापति की कुर्सी खाली रही। नई सरकार बनने के बाद बाद रमेश चंद बैरवा को कार्यवाहक सभापति बनाया गया। इनका कार्यकाल भी मात्र 60 दिन का रहा। इनके बाद सुनील तिलकर को सभापति का कार्यभार सौंपा गया। हालांकि इनका कार्यकाल दो माह बाद फिर से बढ़ाया गया। लेकिन 8 दिसबर को कार्यकाल पूरा होने के बाद फिर से नए सभापति को कार्यभार दिया है। लगातार सभापति बदले जाने से जहां नगर परिषद के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वहीं कर्मचारियों में भी कोई डर नहीं है। वे उन्मुक्त होकर मनमर्जी से कार्यालय आ जा रहे हैं। वहीं सभापति के साथ ही आयुक्त का पद भी कार्यवाहक के भरोसे होने से शहर के लोग परेशान हो रहे हैं। हर दो महीने में कार्यवाहक सभापति नियुक्त करने से शहर की जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। स्थाई सभापति नहीं होने से पट्टा, राजस्व बढ़ाने, अतिक्रमण हटाने, साफ-सफाई सहित अन्य विकास कार्यों को ग्रहण लगा हुआ है।