समान जीन पूल के बाघ बाघिनों में 95 प्रतिशत से अधिक समानता
पूर्व में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल सांइनसेज बैंगलुरु की ओर से रणथम्भौर की प्रसिद्ध बाघिन मछली यानी टी-16 की 2016 में मौत के बाद उसके सैंपल लिए थे। इसके अलावा भी टीम ने देश के कई टाइगर रिजर्व में कुल 84 बाघ बाघिनों के नमूने एकत्र किए थे। इन सैंपल के अध्ययन के आधार पर यह पता लगा था कि समान जीन पूल के बाघ-बाघिनों में 96 प्रतिशत तक समानता मिली थी। साथ ही इन बाघ बाघिनों के शावकों की सरवाइवल रेट भी अपेक्षाकृत कम पाई गई थी।
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प्रदेश में हर जगह रणथम्भौर के ही बाघ
प्रदेश में वन विभाग के बेहतर संरक्षण के कारण बाघ-बाघिनों का आंकडा सौ के पार पहुंच गया है, लेकिन प्रदेश के हर टाइगर रिजर्व व अभयारण्य में वर्तमान में रणथम्भौर के ही बाघ-बाघिन या फिर रणथम्भौर के बाघ- बाघिन की ही संतानें हैं। ऐसे में वर्तमान में प्रदेश के अधिकतर टाइगर रिजर्व व अभयारण्य में वर्तमान में बाघ- बाघिनों के समान जीन पूल में इनब्रीडिंग हो रही है।
पांच साल से अटका है प्रस्ताव
पूर्व में वन विभाग की ओर से बाघ- बाघिनों के बीच समान जीन पूल में इन ब्रीडिंग रोकने के लिए मध्यप्रदेश के इंटरस्टेट ट्रांस लोकेशन का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था। इसके तहत मध्यप्रदेश के जंगलों से बाघ बाघिनों को लाकर प्रदेश के टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाना था, लेकिन करीब पांच साल से अधिक समय से यह प्रस्ताव फाइलों में ही धूल फांक रहा है।
यह सही है कि वर्तमान में राजस्थान में अधिकतर बाघ रणथम्भौर के ही है। जहां तक इंटर स्टेट ट्रांस लोकेशन की बात है तो विभाग की ओर से इस पर भी कार्य किया जा रहा है।
अरिंदम तोमर, पीसीसीएफ, वन विभाग, जयपुर