बता दें कि रण्थम्भौर का प्राकृतिक आवास जहां बाघों को सुहाता है। वहीं रणथम्भौर बाघ परियोजना के समीप कई ऐसे जलाशय हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से पक्षियों के लिए उपयुक्त हैं। इनमें रणथम्भौर के समीप मोरेल डैम इन दिनों देशी-विदेशी पक्षियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हाल में वन विभाग और वेटलैण्डस इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में मोरेल डैम में पक्षियों की गणना का कार्य कराया गया। गणना में चार समूह में 15 विशेषज्ञों के दल को लगाया गया। गणना के दौरान यहां पर कई प्रकार के प्रवासी और अप्रवासी पक्षी मिले थे। इनमें से विश्व स्तर पर संकट ग्रस्त घोषित किए जा चुके 154 में से नौ तरह के पक्षी मोरेल डैम पर नजर आए।
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नजर आईं पक्षियों की 87 प्रजातियां
गणना के दौरान कुल 6275 पक्षी मिले। इसके साथ ही बांध पर पक्षियों की 87 प्रजातियां नजर आईं। इनमें 70 प्रकार के प्रवासी और 17 प्रकार के अप्रवासी प्रजातियां मिली। गणना के दौरान एक एनडेन्जर्ड, 2 बल्ररेविल, 5 नियर थ्रेटेन्डेड प्रजातियों की पहचान की गई। जिनमें डालमेशन पेलिकन, इण्डियन स्कीमर, रिवर टर्न, पेन्टेड स्टार्क, ब्लैक टेल्डगोडविट, ब्लैक हेडेड आईबिश, कॉमन पोचार्ड, यूरेपियन कल्र्यू, वूली नेक्ड स्टार्क आदि शामिल है। मोरेल डैम में वर्तमान में ग्रेट कॉर्मोरेंट 1028, कॉमन कूट 650, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, पाइड एवोसेट 75, ब्लैक टेल्ड गोडविट175, कॉमन टील 75, नोर्दन पिनटेल 56, फ्लेमिंगो 120 की संख्या में दर्ज किए गए।
बर्ड वॉचिंग की अपार संभावनाएं
सुभाष पहाडिय़ा ने बताया कि मोरेल डैम पर पक्षियों का घनत्व काफी अधिक है। ऐसे में यहां बर्ड वॉचिंग व अन्य पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पूर्व में सेंट्रल एशियन फ्लाई की ओर से पक्षियों की उच्च विविधता वाले वेटलैण्ड की सूची में मोरेल डैम को शामिल करने की मांग भी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि फ्लाईवे की 29 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों में से नौ प्रजातियां यहां पाई गई है।
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यह सही है कि मोरेल डैम पर बड़ी संख्या में प्रवासी और अप्रवासी पक्षी मिलते हैं और यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैें। विभाग की ओर से इस दिशा में काम किया जा रहा है।
श्रवण रेड्डी, उपवन संरक्षरक , सामाजिक वानिकी, रणथम्भौर।