एनआरएलएम की टीम को सर्वे के लिए उतारा गया। टीम ने पूरे क्षेत्र में जाकर लगभग 20 गांव ऐसे चिह्नित किये जहां दूध उत्पादन बेहतर होता है। महिला स्वसहायता समूहों को इस प्रोजेक्ट से जुडऩे राजी किया गया। इसके बाद सांची को सर्वे रिपोर्ट के आधार पर एक हजार लीटर क्षमता का चिलर प्लांट लगाने कहा गया। अब यह प्रोजेक्ट प्रायोगिक तौर पर यहां शुरू हो गया है। यहां 200 हितग्राहियों से सात प्वॉइंटों पर दुग्ध का कलेक्शन किया जा रहा है। अभी 500 लीटर दूध एकित्रित हो रहा है। दूध एकत्र करने के लिए सांची के वाहन मिल्क रूट पर जाते हैं। अब इनके दूध की कीमत 40 से 55 रुपये तक बन रही है।
बताया गया कि इनका एक माह का समय होने पर संबंधित समूह को यह राशि दी जाएगी जहां से संबंधित हितग्राहियों को उनके विक्रय किये गए दूध की मात्रा के हिसाब से राशि उनके खाते में दे दी जाएगी। महिलाएं जब चाहे पैसा निकाल सकें इसके लिये भी प्रावधान किए जा रहे हैं। इसके लिये बैंकर्स से चर्चा की जा रही है कि वे गांव में ही कियोस्क सेंटर लगा सकें। जल्द ही यह भी शुरू हो जाएंगे। इसके साथ ही यह प्रोजेक्ट दस्यु प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं की जिंदगी में नई रोशनी लाएगा। इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने में एनआरएलएम टीम के प्रमोद शुक्ला जिला परियोजना समन्वयक, विष्णु तिवारी जिला प्रबंधक नोडल अधिकारी, आकाशदीप, ओमप्रकाश पयासी प्रबंधक सांची डेयरी की भूमिका मुख्य रही।
इस प्रोजेक्ट के प्रारंभ हो जाने के बाद जिपं सीईओ ऋजु बाफना मझगवां स्थित चिलर प्लांट का मौका मुआयना करेंगी। इसके अलावा प्रोजेक्ट के गैप प्वाइंट भी देखे जाएंगी। जिसकी पूर्ति के बाद इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ कराया जाएगा।