वार्डन त्रिवेदी ने बताया कि वह सुबह और शाम छात्रावास जाते हैं। इस बीच सोहावल स्थित दफ्तर में काम करना होता है। छात्रावास में सहायक वार्डन का पद रिक्त है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार बताया गया है पर सहायक वार्डन की नियुक्ति नहीं की गई। दिन में और रात को यहां रहने वाले कक्ष एक से आठवीं के 40 बच्चों की देखरेख भृत्य के हवाले ही रहती है।
मामले में वार्डन उमेश त्रिवेदी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि कई बार बच्चों को परिजन रुपए देकर जाते हैं। इसलिए बच्चे जरूरत और खाने का सामान लेने के लिए छिपकर बाहर निकल जाते हैं। इसकी वजह उन्होंने बताई है कि छात्रावास परिसर में अनाधिकृत रूप से स्कूल रसोइया का परिवार रहता है। इसलिए वह गेट खुला छोड़ देते हैं और बच्चे मौका पाकर बाहर निकल जाते हैं। वार्डन त्रिवेदी का कहना है कि यहां वह प्रतिनियुक्ति पर काम देख रहे हैं।
छात्रावास से बच्चे के भागने और यहां की सुरक्षा को लेकर जब डीइओ टीपी सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें पता ही नहीं कि कोई बच्चा छात्रावास से भागा है। जानकारी मिलने पर उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब करने की बात कही है। कहा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
यहां मौजूद भृत्य शुभम सिंह ने बताया कि गुरुवार की दोपहर तीन बजे बच्चे टीवी देख रहे थे। उस दौरान बाहरी गेट का ताला खुला था। इसलिए मौका पाकर छात्र वहां से भाग निकला। इस बात को यहां के वार्डन उमेश त्रिवेदी ने भी स्वीकार किया कि मेन गेट का ताला खुला होने पर छात्र भागा है। भृत्य का कहना है कि कुछ देर बाद जब बच्चे की सुध आई तो तलाश शुरू की गई। वार्डन को भी बताया गया। इसके बाद सूचना मिली कि बच्चा रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के पास है।
छात्रावास परिसर की एक दीवार जो सैनिक कल्याण कार्यालय की ओर बनी है वहां से निकलने रास्ता है। यहां से सामान्य व्यक्ति भी आसानी से बाहर जा सकता है। एेसे में बच्चे जब मर्जी इसी जगह का उपयोग कर लेते हैं। वार्डन का कहना है कि अपनी जमीन सुरक्षित करने सैनिक कल्याण बोर्ड ने दीवार तोड़ दी, जिसकी मरम्मत के लिए नगर निगम आयुक्त को लिखा गया है। कुल मिलकार मासूम बच्चों के इस छात्रावास में कागजी खेल और लापरवाही का रवैया चरम पर है। इसलिए बच्चा भागा और इसके बाद भी कोई सबक लेने को तैयार नहीं है।