सोनिया गांधी के एक फोन कॉल से बदल गया इस सूबे का मुख्यमंत्री, इस्तीफे लेने के लिए करनी पड़ी तगड़ी लड़ाई
Jharkhand: चंपई सोरेन से सीएम की कुर्सी वापस लेने में हेमंत सोरेन को वैसी हील-हुज्जत नहीं झेलनी पड़ी, जैसा 2015 में बिहार में जदयू नेता नीतीश कुमार को जीतन राम मांझी को हटाने में झेलनी पड़ी थी।
झारखंड में सत्ता के गलियारे में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच हेमंत सोरेन तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेने को तैयार हैं। शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को संभावित है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सीएम बने हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल जाने के पहले ‘स्टॉप गैप अरेंजमेंट’ के तहत चंपई सोरेन को अपनी कुर्सी सौंपी थी। अब जमानत पर जेल से बाहर आने के छह दिनों के भीतर ही उन्होंने कुर्सी उनसे वापस मांग ली।
जीतनराम मांझी को हटाने में करनी पड़ी थी भारी मशक्कत चंपई सोरेन से सीएम की कुर्सी वापस लेने में हेमंत सोरेन को वैसी हील-हुज्जत नहीं झेलनी पड़ी, जैसा 2015 में बिहार में जदयू नेता नीतीश कुमार को जीतन राम मांझी को हटाने में झेलनी पड़ी थी। नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था और खुद की जगह जीतन राम मांझी को सीएम की कुर्सी पर बिठाया था। नीतीश को भरोसा था कि जीतन राम मांझी उनके इशारे पर चलेंगे, लेकिन कुर्सी पर बैठते ही वह रंग बदलकर ‘खुदमुख्तार’ बन बैठे थे और नीतीश को परेशानी में डाल दिया था। बाद में नीतीश को उन्हें हटाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी थी।
झामुमो का कार्यकारी अध्यक्ष बन सकते हैं चंपई हेमंत सोरेन के सामने ऐसी परिस्थितियां नहीं बनीं और अपने लोगों के बीच ‘टाइगर’ कहलाने वाले चंपई सोरेन ने आसानी से समर्पण कर दिया और सिर्फ छोटी-मोटी शर्तों के साथ पांच महीने के बाद सीएम की कुर्सी वापस लौटाने पर राजी हो गए। सूत्रों के अनुसार, ”हेमंत सोरेन चाहते थे कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सीएम बनें। चंपई सोरेन इस पर सहमत नहीं हुए।” उन्होंने हेमंत सोरेन को कहा, ”आप फिर से सीएम बनें तो एतराज नहीं होगा।” चंपई सोरेन का मान रखने के लिए हेमंत सोरेन ने उन्हें सरकार में समन्वय समिति का संयोजक और झामुमो का कार्यकारी अध्यक्ष जैसा कोई पद देने का भरोसा दिलाया।
सोनिया गांधी ने दिया फिर से CM बनने का सलाह दो दिन पहले कांग्रेस लीडर सोनिया गांधी ने हेमंत सोरेन से फोन पर बात की थी। सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने ही हेमंत सोरेन को कहा कि चूंकि 2019 में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़कर सत्ता हासिल की थी और 2024 में भी जनता के बीच यह संदेश जाना चाहिए कि आप ही गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में चंपई सोरेन सीएम पद पर रहते हैं तो भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
बताया जाता है कि सोनिया गांधी की ओर से मिली इसी ‘सियासी सलाह’ के बाद हेमंत ने चंपई सोरेन को हटाकर फिर से सीएम की कुर्सी पर बैठने का फैसला लिया। फिर, तय किए गए प्लॉट के अनुसार बुधवार दोपहर हेमंत सोरेन के कांके रोड स्थित आवास पर आयोजित सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक में उन्हें फिर से विधायक दल का नेता चुना गया।
चंपई ने खुद पद छोड़ने का प्रस्ताव रखा बैठक में सीएम चंपई सोरेन ने खुद पद छोड़ने और हेमंत सोरेन को नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा और इस पर तमाम विधायकों ने सहमति जाहिर की। शाम 7.15 बजे चंपई सोरेन इस्तीफा और हेमंत सोरेन विधायकों के समर्थन का पत्र लेकर एक साथ राज्यपाल के पास पहुंचे।