– सबसे पहले अलसुबह सूर्योदय में उठें। फिर स्नान करें।
– नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल भी डालें। और साफ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद सूर्यदेव के सामने आसन बिछाएं।
– आसन पर खड़े होकर तांबे के बर्तन में पवित्र जल भरें।
– उस जल में थोड़ी सी मिश्री भी मिलाएं। मान्यता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के मंगल दोष दूर होते हैं।
– जब सूर्य से नारंगी किरणें निकली रही हों यानी सूर्योदय के समय दोनों हाथों से तांबे के लोटे से जल ऐसे चढ़ाएं कि सूर्य जल की धारा में दिखाई दे।
– जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र भी बोलना चाहिए।
1. सूर्य अघ्र्य मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर:।।
? सूर्याय नम:, ? आदित्याय नम:, ? नमो भास्कराय नम:।
अघ्र्य समर्पयामि।। 2. सूर्य ध्यान मंत्र
ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती।
नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:।।
केयूरवान्मकर कुंडलवान किरीटी।
हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम।
तमोहरि सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम।।
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। इसी कारण सूर्य की पूजा से कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो सकते हैं। भोर में नित्यक्रिया से निवृत्त होकर सबसे पहले स्नान करें फिर भगवान सूर्य को अघ्र्य चढ़ाएं। रोजाना इस विधि से पूजा करने के बाद कुंडली से सभी ग्रह दशाएं दूर हो जाती हैं।
पं मोहनलाल द्विवेदी, ज्योतिर्विद मैहर