सपनों का शहर बसाने के लिए इन चुनौतियों से पाना होगा पार, तब ये शहर बनेंगा स्मार्ट
शहर
को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की सूची में शामिल कर लिया गया है। पूरे शहर
में जश्न का माहौल है। आमव्यक्ति से लेकर जनप्रतिनिधि तक इसे बड़ी उपलब्धि
के रूप में गिना रहे हैं।
Smart City Project in satna 6 challenges
सतना। शहर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की सूची में शामिल कर लिया गया है। पूरे शहर में जश्न का माहौल है। आमव्यक्ति से लेकर जनप्रतिनिधि तक इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना रहे हैं। लेकिन, इसका दूसरा पहलू भी है। स्मार्ट शहर का सपना देखना-दिखाना अलग विषय है। इसे सही मायने में धरातल पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है।
शहर के विकास को लेकर पूर्व के बड़े प्रोजेक्ट्स पर नजर डालें, तो अनुभव खट्टा रहा है। शहर के जनप्रतिनिधि से लेकर जिम्मेदार अधिकारी तक अपनी भूमिका में खरे नहीं उतरे हैं। इसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं।
विगत वर्ष बाढ़ का दंश
विगत वर्ष बाढ़ का दंश भी इसी कारण शहर ने झेला। इसलिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सपनों का शहर बसाना आसान नहीं दिख रहा है। इसके लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित समय, मानक व गुणवत्ता को ध्यान रखते हुए काम करना होगा। तभी सपनों के शहर की उम्मीद पूरी होगी।
ये प्रोजेक्ट चल रहे देरी से
1- जलावर्धन योजना
स्थिति: 80 करोड़ का प्रोजेट 110 करोड़ रुपए तक पहुंचा
शहरवासियों को 24 घंटे पानी देने का दावा किया गया था। इस प्रोजेक्ट को करीब 3 वर्ष पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन, अब तक पूरी तरह क्रियान्वित नहीं हो सका है। विलंब से 80 करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत 110 करोड़ पहुंच गई।
2- अमृत योजना
स्थिति: 42 करोड़ की योजना 20 फीसदी देरी से चल रही
42 करोड़ के बजट से एक साल पहले अमृत योजना शुरू हुई। इसके तहत पेयजल पाइप लाइन बिछाने का काम होना था। यह निर्धारित समय से 20 फीसदी विलंब से चल रहा है। ठेका कंपनी को 15 करोड़ से अधिक का काम करना था।
3- सीवर योजना
स्थिति: 206 करोड़ की योजना भूमिपूजन तक सीमित
206 करोड़ से शहर में सीवर योजना को अमलीजामा पहनाना था। 5 महीने पहले कार्य प्रारंभ होना चाहिए था, लेकिन भूमिपूजन के बाद कार्य आगे नहीं बढ़ सका। अनुबंध होने के बाद 3 वर्ष के अंदर काम पूरा करना है।
4- पीएम आवास योजना
स्थिति: 188 करोड़ की योजना एक साल पीछे चल रही
188 करोड़ के बड़े फंड से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तकरीबन 2 हजार मकान बनाने की अनुमति दी गई। यह प्रोजेक्ट भी तय समय से एक साल विलंब चल रहा है। कई बार संबंधित ठेका कंपनी को नोटिस भी जारी हो चुकी है।
5- आईएचएसडीपी योजना
स्थिति: 7.25 करोड़ से अब तक नहीं बन पाए गरीबों के आशियाने
योजना के तहत उतैली में 270 मकान गरीबों के लिए बनाए जाने थे। जो 2011 से शुरू कर 2013 में पूर्ण करना था। लागत 7 करोड़ 25 लाख थी। लेकिन यह अधूरा ही रह गया। अब इसी वर्ष के मार्च में यह प्रोजेक्ट बन सका।
6- शॉपिंग कॉम्प्लेक्स
स्थिति: 4 करोड़ का कॉम्प्लेक्स अब तक नहीं बन सका
बस स्टैंड में निर्माणाधीन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी अब तक अधूरा ही है। यह लगभग 4 करोड़ की लागत से तैयार हो जाना था। निगम की लापरवाही के चलते ठेका कंपनी अब तक काम पूरा नहीं कर सकीं। जबकि तय तिथि भी समाप्त हो चुकी है।
ये चुनौतियां हैं सामने
– सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हैं। गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े होते हैं। शहर को गड्ढामुक्त सड़क करना चुनौती है।
– शहर में मात्र एक बस स्टैंड है। जबकि मास्टर प्लान के अनुसार चारों दिशा में एक-एक उप बस स्टैंड होना चाहिए।
– प्रदूषण से राहत दिलाना भी चुनौती होगी। प्रदूषण न करने वाले वीकल को बढ़ावा देना होगा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी ध्यान देना होगा।
– टमस व सतना नदी में समय से पहले ही पानी खत्म हो जाता है। इसे रोकने के लिए नए एनीकेट बनाने की जरूरत है।
– शहर के अंदर संचालित डेयरी, उद्योग व लकड़ी व्यापार को दूर ले जाना होगा। ताकि शहर की सड़कों से मवेशीराज खत्म हो सके।
– अव्यवस्थित यातायात को पटरी पर लाना, सभी चौराहों के सिग्नल को सही रखना व नियमों का पालन करना चुनौती होगा।
– प्रमुख सड़क से लेकर नाले-नालियों व गलियों में अतिक्रमण है। इसे हटना भी चुनौती से कम नहीं है।
– दिन में जलती स्ट्रीट लाइट व रात में अंधेरा शहर की हकीकत है। इससे राहत की जरूरत है।
– जलकर व संपत्तिकर में वसूली में निगम की हालत खराब है। इसे व्यवस्थित करना होगा। ताकि स्मार्ट सिटी फंड में अपना योगदान दे सके।
– नगर निगम के पार्कों की बदतर स्थित को दुरुस्त करना होगा।
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