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श्री बिहारी रामलीला: प्रोफेशनल से पॉलिटीशियन तक निभा रहे किरदार, एक बार रामलीला ने लिया था सियासी रंग

श्री बिहारी रामलीला समाज: प्रोफेशनल से पॉलिटीशियन तक निभा रहे किरदार, एक बार रामलीला ने लिया था सियासी रंग

सतनाOct 04, 2019 / 04:54 pm

suresh mishra

Shree Bihari Ramleela Samaj satna: ramlila manchan news in hindi

Shree Bihari Ramleela Samaj satna: ramlila manchan news in hindi

सतना। शहर के सबसे पुराने रामलीला की शुरुआत बिहारी मंदिर के तत्कालीन महंत गोलोकवासी बाबा वृंदावनदासजी ने 1897 में की थी। 1922 तक उनके मार्गदर्शन में ही मंचन हुआ। इसके बाद बिहारी प्रसाद महंत बने। उन्होंने रामलीला की ख्याति आसपास के जिलों तक पहुंचाई। 1958 तक महंत बिहारी प्रसाद के मार्गदर्शन में ही रामलीला होती रही। 58 में उनके निधन के बाद कुछ समय के लिए लक्ष्मण प्रसाद गर्ग उर्फ डब्ली महाराज की देखरेख में रामलीला हुई।
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अब यह जिम्मेदारी बिहारी मंदिर के महंत पं. बृजेंद्र दुबे संभाल रहे हैं। इस वर्ष बिहारी रामलीला का 123वां मंचन सुभाष पार्क में जारी है। कुछ पेशेवर कलाकार हैं, जिनकी पहचान उनके अभिनय यानी रामलीला के पात्र के रूप में बन गई है तो कुछ ऐसे भी हैं, जिनका पेशा राजनीति सहित अन्य है।
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1930 में पहली बार स्थानीय कलाकार
श्रीबिहारी रामलीला की शुरुआत अयोध्या की मंडली बुलाकर की गई थी। यह सिलसिला 1929 तक चला। दशहरे से पहले बाहर की मंडली आती और मंदिर के सामने रामलीला का मंचन करती। 1930 में पहली बार स्थानीय कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया। तत्कालीन महंत स्व. बिहारी प्रसादजी ने शहर की दो नाकट कंपनियों के कलाकारों को इसके लिए तैयार किया था। धीरे-धीरे जिले के अन्य कलाकार भी बिहारी रामलीला से जुड़ गए। 80 व 90 के दशक में रामलीला अपने चरमोत्कर्स पर होता था।
जब रामलीला ने लिया सियासी रंग, बढ़ गई स्पर्धा
50-60 के दशक में बाहरी कलाकारों की प्रतिस्पर्धा भी झेलनी पड़ी। नगर पालिका के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. लालता खरे ने बिहारी चौक की बजाय सुभाष पार्क में रामलीला करने का आग्रह किया था। लेकिन, रामलीला समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि सुभाष पार्क आरक्षित करा दिया जाए तो यह संभव हो जाएगा। दोनों पक्षों में बात नहीं बनी। तब डॉ. खरे ने ग्वालियर से एक मंडली बुलाई और सुभाष पार्क में रामलीला शुरू करा दी थी। 1958 से श्री बिहारी रामलीला सुभाष पार्क होने लगी। तत्कालीन विस अध्यक्ष शिवानंद ने रामनाटोला का मैदान आरक्षित करा दिया।
अहम थे मुस्लिम बंधु
मुस्लिम बंधु बुक्कू मास्टर व छोटेलाल साइकिल वाले हमेशा चर्चा में रहे। एक हरमोनियम तो दूसरे तबले पर संगत देते थे। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष भुवनेश्वर शर्मा भी अभिनय करते थे। भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी नारद, को-ऑपरेटिव बैंक के मैनेजर रमाकांत पटेल मेघनाथ व सुमंत की भूमिका में नजर आते हैं।

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