हैरान करने वाली बात ये है कि पूरी कार्रवाई में आरोपी अज्ञात हैं। जबकि आस-पास का पूरा क्षेत्र जानता है कि उमेश गुप्ता, वीरेंद्र शुक्ला व मुकेश सेन कारोबार को करते हैं। इसमें से उमेश एक चुने हुए जनप्रतिनिधि भी है। राजनीति आकाओं के बल पर पूरा कारोबार चलता है।
संयुक्त कार्रवाई शुरू होने से पहले ही मुखबिरी हो गई। इसका फायदा उठाकर आरोपी दुकान में ताला लगाकार फरार हो गए। वहीं मौके पर कुल 120 पाव शराब जब्त की गई। सूत्र बताते हैं कि आरोपियों ने जानबुझकर ऐसा किया। उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि मौके पर 50 लीटर से ज्यादा शराब उपलब्ध न हो। अगर, ऐसा पाया जाता, तो आबकारी एक्ट की धारा 32 (2) के तहत कार्रवाई होती। इसमें तत्काल जमानत नहीं मिलती है।
जब ये कारोबार वर्षों से हो रहा था। तो स्थानीय अधिकारियों ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? स्थानीय स्तर पर शिकायतें को नजरअंदाज क्यों किया गया? निजीलाभ लेने वाले अधिकारियों को राहत क्यों दी गई। ऐसे कई सवाल है, जो चर्चा का विषय बने हुए हैं।
ताला तोडऩे के बाद जब टीम ने अंदर प्रवेश किया। तो सन्नाटा पसरा हुआ था। एक कोने में कार्टून में शराब छुपाकर रखी हुई थी। टीम ने मौके से 120 पाव शराब जब्त किया। साथ ही काउंटर से 850 रुपए नगद भी जब्त किया गया।