scriptसाइबर फ्रॉड: फर्जी खातों के जरिए सतना से चल रहा था मनी लांड्रिग का करोड़ों का कारोबार | Cyber fraud: Money laundering business worth crores was being run from Satna through fake accounts | Patrika News
सतना

साइबर फ्रॉड: फर्जी खातों के जरिए सतना से चल रहा था मनी लांड्रिग का करोड़ों का कारोबार

‘म्यूल खातों’ के जरिए साइबर ठगी के करोड़ों रुपयों का हो रहा था हेरफेर
भोपाल साइबर पुलिस ने सतना से उठाए आधा दर्जन से ज्यादा आरोपी

सतनाJan 08, 2025 / 02:42 am

Ramashankar Sharma

cyber crime
सतना। साइबर फ्राड के जरिये लोगों से ठगी गई राशि को म्यूल खातों की सहायता से मनी लांड्रिग के जरिए ठिकाने लगाने वाले गिरोह के आधा दर्जन सदस्यों को भोपाल साइबर पुलिस ने मंगलवार को हिरासत में लेकर अपने साथ ले गई है। साइबर फ्राड के जरिए मनी लांड्रिग के आरोपियों को उठाने की कार्रवाई सुबर 4 बजे से प्रारंभ हुई जो लगभग 10 बजे तक चली। आरोपियों को पकड़ने के लिए सात लक्जरी वाहनों में टीम सतना पहुंची थी। इनके साथ रीवा का पुलिस बल भी सहयोगी की भूमिका में साथ रहा। इस अपराध का खुलासा बिरला यार्ड में काम करने वाले गार्डों के जरिए हुआ था, जिनसे इंडस इंड बैंक, यूनियन बैंक, कोटक महिन्द्रा बैंक के खाते खुलवाए गए थे। जब एक गार्ड ने अपने खाते की जानकारी ली और उसे पता चला कि सवा करोड़ रुपए के लगभग उसके खाते में आए और निकाल लिए गए तब उसने मामले की रिपोर्ट साइबर पुलिस को दर्ज कराई थी। जिसकी पड़ताल के बाद यह मामला उजागर हुआ। इस मामले का खुलासा पत्रिका ने प्रमुखता से किया था।
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सतना से आरोपी को ले जाती साइबर पुलिस टीम
नजीराबाद से उठाए गए ज्यादातर आरोपी

सूत्रों के अनुसार करोड़ों रुपए की इस ठगी के मामले में ज्यादातर आरोपी नजीराबाद और इससे लगे मोहल्लों से उठाए गए हैं। भोपाल साइबर पुलिस की टीम ने सबसे पहली दबिश सगील अख्तर उर्फ साहिल के नजीराबाद स्थित घर में दी। पूछताछ में पता चला कि इसके खाते से 1 करोड़ 9 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया था। इसके बाद नजीराबाद बिल्लू बाबा की गली के पास रहने वाले अंजर हुसैन के घर से उसे उठाया गया। यह निजी विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा है और दिखाने को बीमा का कारोबार करता है। बरकादी मस्जिद के पीछे रहने वाले साजिद खान को भी उठाए जाने की खबर है। इनके अलावा नजीराबाद से अरमान, आशिफ को भी उठाया गया है।
उमरी मोहल्ले से संदीप को उठाया

भोपाल साइबर पुलिस की एक टीम पन्ना नाका स्थित उमरी मोहल्ले पहुंची। सुबह लगभग 5 बजे राजू गौतम के मकान में किराए से रहने वाले संदीप चतुर्वेदी के यहां पहुंची। संदीप यहां अपनी मां और बहन के साथ रहता है। टीम ने यहां बैंक खाते, पास बुक और अन्य दस्तावेज भी तलाशे और उन्हें अपने कब्जे में लिया। इसके साथ ही मकान मालिक के घर पर लगे सीसीटीवी का डीबीआर भी अपने कब्जे में लेकर साथ ले गई है।
तुलसी नगर से दो आरोपियों को उठाया

टीम ने तुलसी नगर से दो आरोपियों को उठाया है। शशांक अग्रवाल उर्फ ईशू अग्रवाल को उठाया गया है। बताया जा रहा है कि इसके पिता किराना का कारोबार करते हैं। इसी मोहल्ले से अंकित कुशवाहा नाम युवक को भी उठाए जाने की खबर है।
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इन्हें भी अपने साथ ले गई पुलिस

सूत्रों के अनुसार सुमित शिवानी पिता श्रीचंद निवासी पंजाबी मोहल्ला, टिंकल गर्ग उर्फ स्नेहिल निवासी पंजाबी मोहल्ला को भी पुलिस अपने साथ ले गई है। यह जानकारी भी सामने आई है कि नजीराबाद निवासी साजिद को भी पुलिस ने तेलंगाना से अपनी हिरासत में ले लिया है।
अर्सलान हुआ भूमिगत

इस मामले में पुलिस को अर्सलान की भी तलाश थी। लेकिन वह काफी पहले से भूमिगत है। इंदौर के साइबर फ्राड में पुलिस ने मैहर में जब दबिश दी थी उस वक्त से इसका नाम सामने आ रहा था। यह मैहर और सतना में रह कर साइबर अपराध को अंजाम दे रहा था। इसके पिता स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं और इन्होंने मैहर में काफी समय तक अर्सलान को रखा हुआ था। लेकिन वह सतना आकर भी साइबर क्राइम को अंजाम देता था। इसका काम फर्जी खाते खुलवाना और उनके एटीएम अपने कब्जे में लेना होता था।
हैदराबाद में भी दबिश

सूत्रों के अनुसार साइबर सेल ने इस मामले में तेलंगाना (हैदराबाद) से भी एक आरोपी को उठाया है। साइबर सेल की एक टीम हैदराबाद में रह रहे एक आरोपी की पतासाजी के लिए वहां दबिश दी। हैदराबाद से नजीराबाद सतना निवासी साजिद खान को हिरासत में लिया। इसके पकड़े जाने के साथ ही साइबर टीम को महत्वपूर्ण जानकारी मिली। उसके कब्जे से कई संदिग्ध दस्तावेज और एक डायरी मिली। इस डायरी में खाताधारकों के नंबर, नाम और विवरण था। इसमें ट्रांजेक्शन की राशि का हिसाब-किताब भी था। इसके आधार पर कुछ अन्य आरोपियों की पहचान की गई। इसके बाद सतना में दबिश दी गई। बताया जा रहा है कि इस मामले में दो युवतियों को पूछताछ के लिए पकड़ा गया है। आरोपियों के कब्जे से उनके मोबाइल, बैंक के दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
कमीशन लेकर ले रहे थे भुगतान

प्रथम दृष्टया यह सामने आया है कि हिरासत में आए आरोपी अपने सरगनाओं से कमीशन लेकर अपने खाते में पैसा लेते थे। खाते में राशि आने के बाद बताए खातों में कमीशन काटने के बाद राशि भेज दी जाती थी। यह सारा कार्य ऑनलाइन किया जा रहा था।
इन लोगों पर दर्ज है एफआईआर

मिली जानकारी के अनुसार भोपाल साइबर पुलिस ने 13 दिसंबर 2024 तो अपराध क्रमांक 0353/2024 में यह अपराध दर्ज किया है। साइबर और हाईटेक अपराध के तहत दर्ज किए गए इस प्रकरण में अमित निगम, संदीप चतुर्वेदी, अंजर हुसैन, साजिद खान, शशांक अग्रवाल मोनू, अर्सलान, अनुराग कुशवाहा, चंचल विश्वकर्मा, सगील अख्तर, स्नेहिल गर्ग, अंकित कुशवाहा, अमित कुशवाहा, सुमित शिवानी, मो. मसूद, अमितेश कुंडे, रितिक श्रीवास को आरोपित किया गया है।
इस फर्जीवाड़े के दो मास्टर माइंड

जानकारों का कहना है कि इस खेल सतना जिले में दो मास्टर माइंड है जो अभी इस कहानी में सामने नहीं आ सके हैं। लेकिन जितने लोगों को आरोपी बनाया गया है उसमें से ज्यादातर लोगों को इनके द्वारा साइबर कारोबार में लाया गया है। इनमें अनस खिलची और रिक्कू रहीस के नाम शामिल है। इनके द्वारा ऑनलाइन सट्टे का भी कारोबार किया जाता था। एक एप के जरिए साइबर ठगी का कारोबार कर रहे थे। इस एप का नाम ईवा एक्सपो रहा। जिसमें एक लाख रुपए लगाने पर 2500 रुपए रोज देने का झांसा दिया जाता था। साइबर अपराध में इसका साथ रहीस रिक्कू देता था। ये लोग कुछ दिनों से फरार बताए जा रहे हैं। इनका एक साथी एहसन खान बताया जा रहा है जो काली स्कार्पियो से चलता था। पुलिस की नजर इन लोगों पर भी बताई जा रही है।
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सतना में साइबर अपराध को इस तरह दिया गया अंजाम

साइबर क्राइम की अपराध श्रृंखला में म्यूल अकाउंट खोलने की शुरुआत सतना में दिसंबर 2023 से हुई। यहां बिरला सीमेंट यार्ड में कार्यरत सुरक्षा गार्डों के पास अमित निगम और संदीप चतुर्वेदी खुद को इंडस इंड बैंक का एजेंट बताते हुए खाता खोलने की पेशकश किये। कई दिनों तक गार्ड इनके झांसे में नहीं आए। यहां तैनात 16 गार्डों में से एक गार्ड प्रतापपुर के पास का था। संदीप चतुर्वेदी भी प्रतापपुर के पास का निवासी था। गांवदारी का हवाला देकर इन लोगों ने बताया अभी बैंक की नई शाखा खुली है इसलिए कारोबार बढ़ाने के लिए नये खाते खोल रहे हैं। जीरो बैलेंस में आप लोगों का खोल दिया जाएगा। इसके बाद गार्ड झांसे में आ गए। आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज अमित निगम और उनके साथ आए दो अन्य साथियों को दे दिए और उनके साथ लाए गए खाते खुलवाने के फार्म पर हस्ताक्षर भी कर दिए। इस तरह सभी गार्डों ने खाता खुलावा लिया। इन्हें इन लोगों ने बताया कि दो माह बाद आप लोगों के पास घर के पते पर बैंक की पास बुक, एटीएम और अन्य दस्तावेज आ जाएंगे। इधर गार्ड धीरे-धीरे खाता खुलवाने की बात भूल गए।
इस तरह खेल का हुआ खुलासा

मार्च महीने गार्ड केके गौतम अपने यार्ड के पास अपने एक मित्र पयासी के पास पहुंचा जो आनलाइन का काम करते हैं। इनसे बातों ही बातों में पता चला कि आधार कार्ड के जरिए बैंक में जमा राशि की जानकारी मिल जाती है। तब केके गौतम को अपने खाते की याद आ गई। उन्होंने आधार कार्ड नंबर बताया तो पता चला कि इंडस इंड बैंक के उनके खाते में 1.09 लाख रुपए जमा होना दिखाया। गौतम ने कहा कि उन्होंने कभी राशि जमा ही नहीं की है फिर इस खाते में इतनी राशि कैसे जमा हो गई। इसके बाद केके गौतम ने इसकी जानकारी अन्य गार्ड सूरज पाण्डेय, अनिल पाण्डेय, कौशलेन्द्र द्विवेदी को बताई। ये लोग भी यहां तत्काल पहुंचे और इनके खाते में भी बैंक बैलेंस दिखा रहा था जबकि इन लोगों ने भी कोई राशि जमा नहीं की थी। इससे परेशान होकर सभी लोग अगले दिन दशमेश होटल के पास स्थित इंडस इंड बैंक में गए तो वहां अमित निगम मिला। जब उससे बात करने लगे तो यहां हल्ला होने लगा। यह देख बैंक मैनेजर यहां पहुंचे। जब उन्हें इस बात की जानकारी दी तो बैंक मैनेजर ने इस खाते का स्टेटमेंट निकाला तो पता चला कि इस खाते से यूपीआई के जरिए सवा करोड़ रुपये के लगभग का लेन देन हो चुका है।
किसी और के नाम से खाता रजिस्टर्ड करवाया

जब बैंक मैनेजर ने बैंक में केके गौतम की जानकारी के आधार पर पता किया तो बैंक में गौतम का खाता नंबर 100215****04 बताया गया। लेकिन इस खाते में निगम ने केके गौतम का मोबाइल नंबर न दर्ज करवा कर किसी अन्य का नंबर 8107903712 रजिस्टर्ड करवा रखा था। इस मामले का खुलासा होने के बाद इन लोगों ने अपराध पंजीबद्ध करवाया।
एटीएस को दी गई जांच

साइबर और हाईटेक अपराध का मामला साइबर सेल भोपाल के संज्ञान में आने के बाद इस मामले के अनुसंधान का जिम्मा एटीएस मुख्यालय भोपाल को दिया गया। इसके बाद एटीएस की टीम ने इसकी जांच प्रारंभ की। फिर पीडि़तों से एटीएस जबलपुर की टीम ने बात की। फिर एटीएस कार्यालय रीवा में पीडि़तों के बयान दर्ज किए गए और भोपाल साइबर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध किया।
यह होता है म्यूल खाता

म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक अकाउंट होते हैं जिनका इस्तेमाल जालसाज अपराध से मिले पैसे को ठिकाने लगाने के लिए करते हैं। जालसाज अगर अपने खुद के अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, तो केवाईसी नियमों की वजह से वे आसानी से पकड़ में आ जाते हैं। इससे बचने के लिए जालसाज (असली अपराधी) किसी तीसरे व्यक्ति के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें तीसरे व्यक्ति को कई बार पता भी नहीं होता है कि वे अपराधियों के लिए काम कर रहे हैं। इनके खाते का इस्तेमाल मनी म्यूल की तरह होता है।
इन्हें बनाया जाता है निशाना

म्यूल अकाउंट के लिए उन लोगों को निशाना बनाया जाता है जिन्हें बैंकिंग कारोबार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है साथ ही उन्हें साइबर फ्राड की भी जानकारी नहीं होती है। इनमें से ज्यादातर श्रमिक वर्ग के लोग, अनपढ़, देहात के लोग या गरीब वर्ग के लोग होते हैं जो आसानी से कुछ पैसों की लालच में झांसे में आ जाते हैं। इन्हें पैसे का लालच दिया जाता है जिससे वे अपना अकाउंट खुलवाने के लिए अपनी जानकारी दे देते हैं और अपने मौजूदा अकाउंट का इस्तेमाल करने की अनुमति दे देते हैं। कई बार बैंक में खातों की संख्या कम होने या कारोबार बढ़ाने के नाम पर झांसा दिया जाता है।
इस तरह होता है कारोबार

म्यूल अकाउंट की पूरी जानकारी असली अपराधी तक पहुंच जाती है। साथ ही उसके पासवर्ड और एटीएम कार्ड आदि भी उसके कब्जे में आ जाते हैं। इसके बाद साइबर ठगी से आने वाली राशि को छोटी छोटी रकम के रूप में इन खातों में डाला जाता है। फिर कुछ ही समय में इस खाते से बड़ी रकम अन्य म्यूल अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती है। कई म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल करने के बाद अंत में यह राशि जालसाज अपराधी निकाल लेता है।
भोपाल साइबर पुलिस द्वारा कुछ संदिग्धों को पूछताछ के लिए ले जाया गया है। पूछताछ के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगीआशुतोष गुप्ता, एसपी सतना

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