सतना

आस्था के साथ मस्ती का स्पॉट है रामवन, किट्स और कॉलेजी यूथ पहुंचकर हो रहे क्रेजी

– शहर से 15 किमी. दूर दिखती है प्राकृतिक सुंदरता की झलक

सतनाAug 03, 2019 / 11:40 am

suresh mishra

ramvan temple

सतना। रिमझिम बारिश के मौसम में इन दिनों सिटी किट्स और कॉलेजी यूथ रामवन पहुंचकर क्रेजी हो रहे है। शहर से 15 किमी. दूर स्थित रामवन की प्राकृतिक छटाओं के बीच आस्था के साथ मस्ती का स्पॉट बना हुआ है। पार्कों और आसपास के खेतों की हरियाली यूथ को अपने ओर खींच कर ले जाती है। मानस संघ द्वारा स्थापित के गए मनोरंजनालय में एक दर्जन से ज्यादा झूले किट्स के लिए अट्रेक्शन प्वांइट बने हुए है। रामवन दर्शन की शुरूआत हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति की पूजा-पाठ से शुरू होकर रोमन ट्रेन की छुक-छुक सवारी से समापन होता है।
ये झूले करते है अट्रैक्ट
मानस संघ द्वारा स्थापित मनोरंजनालय में रोमन ट्रेन, एन्जिन राइड, एयरोप्लेन राइड, एलीफेन्ट राइड, -डिस्क राइड, हिट ओ मिस, मल्टी प्ले स्टेशन, एयरोप्लेन मेरी गो राउंड, एयर हॉकी, बास्केट बॉल, सर्किल मैनिया पण्डा, स्पीड बॉल, ऑटो कार रेस, आर्केड फाइट, डॉक कैचर आदि अट्रैक्ट करते है।
मूर्ति कला पर्यटकों को करती है आकर्षित
रामवन नाम सुनते ही प्रतीत होता है कि यहां भगवान राम की प्रतिमा या दर्शनीय स्थल होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। इस स्थान पर बजरंगबली की विशाल प्रतिमा स्थापित है। रामवन में होने की वजह से इसे रामवन हनुमान कहा जाता है। हर साल पर्यटक बड़ी संख्या में इसे देखने के लिए यहां आते हैं। यहां की मूर्ति कला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
1929 से चर्चित हुआ रामवन
पंडित साधु प्रसाद तिवारी ने बताया कि 1929 में रामवन चर्चित हुआ था। यहां लगातार 12 वर्षों तक अखंड मानस का पाठ हुआ। फिर मूर्ति की स्थापना सेठ बाबू शारदा प्रसाद ने 1936 में कराई। मूर्ति को बिरसिंहपुर के कारीगर सन्यासी महाराज ने बनाया था। इसके बाद 1939 में मानस संघ ट्रस्ट बना। जिसके अधीन सितंबर 1959 में तुलसी संग्रहालय स्थापित हुआ। संग्रहालय के लिए पुरासामग्री संकलन कार्य सन 1925 से 1957 तक चलता रहा। जिसमें प्रस्तर प्रतिमाएं, हस्तलिखित ग्रन्थों, कलाकृतियों एवं अन्य पुरावशेष शामिल है।

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