सतना

चुनाव-चौपाल: ऊर्जा धानी के मतदाता बोले-100 किमी. की सड़क 5 साल में बना न सके, बातें अमेरिका की

सिंगरौली जिला: चौपाल में बोले-पांच साल तक शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क पर किसी ने नहीं दिया ध्यान, बेरोजगारी, विस्थापन और कंपनियों के छलावे से मतदाता आक्रोशित

सतनाOct 13, 2018 / 03:19 pm

suresh mishra

MP Election 2018: chunav chaupal in singrauli district

सिंगरौली। प्रदेश की ऊर्जाधानी सिंगरौली जिले में तीन विधानसभा सीट हैं। सिंगरौली, देवसर और चितरंगी। चितरंगी में कांग्रेस तो सिंगरौली और देवसर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने यहां से जिसे भी टिकट दिया, जनता ने उसे ही चुन लिया। पहले रामचरित और अब रामलल्लू बैस लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। सुबह 7 बजे करीब जिला मुख्यालय (सिंगरौली विधानसभा) के प्रमुख बाजार क्षेत्र में मस्जिद के सामने ट्रेवल्स की दुकान के बाहर कुछ लोग बैठे दिखे। मैं वहां पहुंचा और मौजूद लोगों का मन टटोलना शुरू किया। तभी वहां बैठे राकेश सिंह की व्यथा फूट पड़ी।
हर बार प्रभारी मंत्री का एक जबाव
बोले, 100 किलोमीटर की सड़क तो सरकार पांच साल में बनवा न सकी। बातें ऐसी कि अमेरिका भी हमसे पीछे है। राकेश आगे और कुछ बोलते इससे पहले ही संतोष जायसवाल बोले-प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला सिंगरौली आते हैं तो हर बार कहते हैं कि चार महीने में सिंगरौली-रीवा सड़क बन जाएगी। चार साल से वे यही बात कह रहे हैं पर यह सड़क अब तक नहीं बनी। सड़क पांच साल से बन रही है, इसी रफ्तार से बनी तो आगे पांच साल और लग जाएगा।
संभागीय मुख्यालय रीवा, इसलिए ज्यादा आना-जाना
सिंगरौली का संभागीय मुख्यालय रीवा है। शिक्षा से लेकर चिकित्सा और राजनीतिक का केंद्र रीवा होने से लोगों का जुड़ाव लाजिमी है। जुड़ाव के लिए सड़क का अच्छी होना जरूरी है। खराब सड़क के कारण लोग काम पडऩे पर जबलपुर और बनारस जाना ज्यादा मुनासिफ मानते हैं। जबलपुर के लिए ट्रेन से सफर आरामदायक हो जाता है तो बनारस के लिए सड़क अच्छी है।
सिर्फ एक तकनीकी कॉलेज दे दो
सड़क की चर्चा के बीच में ही राशिद खान बोले कि सिंगरौली से सीधी जाना हो तो बरगवां, देवसर होकर 100 किलोमीटर की बजाय लोग सरई होकर ग्रामीण सड़क से 142 किलोमीटर दूरी का सफर ज्यादा पसंद करते हैं। तभी राशिद को बीच में ही टोकते हुए हरप्रीत सिंह बोले, भाई…! सड़क तो जाने दीजिए। सिंगरौली में एक सरकारी तकनीकी कॉलेज बता दीजिए, जहां पढ़ाई कर बच्चे यहां के पावरहाउस व एनसीएल की कोयला खदानों में नौकरी पा सकें।
दुनिया रोशन, यहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में
पांच पावर हाउस, एक-एक एल्यूमीनियम और स्पंज आयरन फैक्ट्री में हजारों लोग नौकरी में हैं। इसमें मूलत: सिंगरौली के कितने लोग हैं? पता लगाएंगे तो 30 प्रतिशत भी नहीं मिलेंगे। सरकार यहां बिजली बनाकर पूरे देश को रोशन कर रही है और यहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में है। माइनिंग इंजीनियरिंग कॉलेज धनबाद का सेंटर सिंगरौली में खोलने की बात कई वर्षों से कही जा रही है पर खुलेगा कब कोई नहीं जानता। रामलल्लू वैश्य ने स्नातक के निजी कॉलेज जरूर खुलवा दिया। नेताओं को कुछ तो सोचना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी को क्या बताएंगे?
मूल रहवासी बेरोजगार
सुदर्शन बताते हैं, बेरोजगारी बड़ी समस्या है। 2008-09 में ड्राप्समेन सिविल से आइटीआइ किया। पहले पावर हाउस में ठेकेदार के अधीन काम कर रहा था। जब पावर हाउस में नियमित करने की बात आई तो पता चला कि काम हम कर रहे थे रजिस्टर में नाम यूपी-बिहार वालों का था। हम काम से बाहर हो गए और वे नौकरी पर आ गए। मूल रहवासी बेरोजगारी से जूझ रहे। सरकार की कुछ योजना ठीक है। जैसे लाडली लक्ष्मी पर क्रियान्वयन हो जाए तब।
गड्ढे बयां कर रहे विकास की कहानी
चुनावी सभा से उठकर हम बाजार से जैसे ही एनटीपीसी की इकाई विंध्यनगर की ओर आगे बढ़ते हैं तो सड़क के किनारे ही झोपड़ी और सड़कों पर गड्ढे विकास की कहानी बयां करते हैं। भाजपा के जिला कार्यालय के सामने वाली सड़क पर बैठे तीन लोगों से बात करने पर पता चला कि उनमें से एक तनगुर लाल यहां से पहले विधायक रहे रामचरित के भाई हैं। तनगुर बोले-आवास और शौचालय जैसे काम लेकर जाने पर कल आना कहकर बात टाल दी जाती है।
कन्वेयर बेल्ट से रातभर नींद नहीं आती है
सिंगरौली के बैढऩ से जैसे ही हम बाहर होते हैं तो ग्रामीण क्षेत्र नौगढ़, हर्रहवा में व्यवस्था को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा तो वैसे ही है पर मुद्दे बदल गए। यहां लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी बेतरतीब औद्योगीकरण और कंपनियों द्वारा इकाई लगाने के दौरान शोषण की है। हर्रहवा के रामशाह बोले कि कन्वेयर बेल्ट के शोर से रात में नींद नहीं आती। यहां पीपल के नीचे चौपाल लगी है। इसमें गांव के युवा और महिलाएं अलग-अलग कोने में मनोरंजन में जुटे हैं। युवा ताश खेल रहे हैं तो महिलाएं गपशप में लगी हैं।
कोई अधिकारी नहीं सुनता बात
अलबेली व सीता बाई बोलीं, गंदा पानी पीकर बच्चे आये दिन बीमार पड़ रहे हैं। पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। अधिकारी के पास परेशानी बताओ तो कहते हैं कि हमारे कार्यक्षेत्र का मामला नहीं है। रामशाह बोले रिलायंस के मकान शिफ्टिंग में ठेकेदारी में काम करवाया। 7 लाख 30 हजार रुपए का भुगतान बकाया है। कंपनी ने देने से मना कर दिया। कलेक्टर के पास गए तो बोले सिविल में केस लगा तो। इसके लिए 90 हजार रुपए का तो स्टांप ही लग जाएगा। इतना पैसा आए कहां से। तंगहाली अब जमीन बेचने पर विवश कर रही है।

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