कैमरे लगाने वाली कंपनी हनीवेल के तकनीकी स्टाफ से एसपी रेडियो ने तकनीकी जानकारी लेते हुए उन्हें खामियों को जल्द पूरा करने को कहा है। सभी कैमरों की कनेक्टिविटी जांचने के बाद जिनका व्यू सही नहीं मिला उन्हें सुधारने को कहा गया। मैहर कोतवाली के पीछे बनाए गए सीसीटीवी कंट्रोल रूम से सभी कैमरों की स्थित जांचने के बाद इन्हें चालू कर दिया गया। अब मैहर नवरात्र मेला में आने जाने वाले दर्शनार्थियों और कस्बा के हालातों पर पुलिस नजर बनाए रखेगी।
चैत्र नवरात्रि पर क्या करें, क्या नहीं
पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया, चैत्र नवरात्रि 18 मार्च रविवार से 25 मार्च तक है। नवमीं तिथि का क्षय होने से चैत्र शुक्ल पक्ष 14 दिवसीय है। वास्तविक नवरात्रि आठ दिन की है। घट स्थापना मुहूर्त प्रात:काल से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक है। कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। सुबह 11.36 से 12.24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है, जो घट स्थापना व पाठ के लिए उपयुक्त है।
पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया, चैत्र नवरात्रि 18 मार्च रविवार से 25 मार्च तक है। नवमीं तिथि का क्षय होने से चैत्र शुक्ल पक्ष 14 दिवसीय है। वास्तविक नवरात्रि आठ दिन की है। घट स्थापना मुहूर्त प्रात:काल से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक है। कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। सुबह 11.36 से 12.24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है, जो घट स्थापना व पाठ के लिए उपयुक्त है।
पूजन के नियम
दुर्गा पूजन केश खोल कर न करें। आक, मदार, दूर्वा, तुलसी व आंवले का प्रयोग न करें। घट में तीन प्रतिमा न रखें। माता को लाल सुगंधित पुष्प अर्पित करें। बेला, चमेली, केवड़ा, कदम, केशर, श्वेत कमल, पलाश, अशोक, चम्पा, मौलसिरी, कनेर सुगंधित पुष्प माता को ग्राह्य है। पूजा करते समय गीले वस्त्र धारण न करें। हाथ घुटने के अंदर रखें। गले में वस्त्र न लपेटें। मंदिर की परिक्रमा एकबार ही करें। द्विवेदी ने बताया कि नवमीं यानी महानिशा पूजा शनिवार रात की जाएगी। महाअष्टमी का व्रत रविवार उदय तिथि अष्टमी में किया जाएगा।
दुर्गा पूजन केश खोल कर न करें। आक, मदार, दूर्वा, तुलसी व आंवले का प्रयोग न करें। घट में तीन प्रतिमा न रखें। माता को लाल सुगंधित पुष्प अर्पित करें। बेला, चमेली, केवड़ा, कदम, केशर, श्वेत कमल, पलाश, अशोक, चम्पा, मौलसिरी, कनेर सुगंधित पुष्प माता को ग्राह्य है। पूजा करते समय गीले वस्त्र धारण न करें। हाथ घुटने के अंदर रखें। गले में वस्त्र न लपेटें। मंदिर की परिक्रमा एकबार ही करें। द्विवेदी ने बताया कि नवमीं यानी महानिशा पूजा शनिवार रात की जाएगी। महाअष्टमी का व्रत रविवार उदय तिथि अष्टमी में किया जाएगा।
व्रत एवं पारण मूहर्त
हवन पूजन 25 मार्च को सुबह 7 बजकर 03 मिनट के बाद दिन-रात किसी भी समय किया जा सकेगा। पारण 26 मार्च को सुबह करना चाहिए।
हवन पूजन 25 मार्च को सुबह 7 बजकर 03 मिनट के बाद दिन-रात किसी भी समय किया जा सकेगा। पारण 26 मार्च को सुबह करना चाहिए।