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सतना में सत्ते पर सत्ता : सांसद गणेश सिंह को भाजपा के भीतर से ही मिल रही चुनौती

विधानसभा चुनाव में सीटें बढ़ीं पर भाजपा को मिले वोटों का आंकड़ा जस का तस

सतनाJan 21, 2019 / 04:03 am

राजीव जैन

Loksabha Election 2019 : Satna parliament constituency Ganesh Singh

Loksabha Election 2019 : Satna parliament constituency Ganesh Singh

सतना. भाजपा सांसद गणेश सिंह की राह इस बार आसान नहीं दिख रही है। उनकी जीत का अंतर लगातार घटा है। विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा ने सात में से पांच सीटें जीतकर कांग्रेस को झटका जरूर दिया है। विधानसभा उपाध्यक्ष रहे राजेंद्र सिंह जैसे कांग्रेस के दिग्गज भी चुनाव हारे हैं, लेकिन वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। सिंह तीन चुनावों से पार्टी की ओर से टिकट के दावेदारों में एकछत्र की स्थिति में थे। सतना लोकसभा सीट में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं। सदन में सक्रियता और जातिगत समीकरण के प्रभावी होने के साथ सांसद की जिले में पकड़ का उनके समकालिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी लोहा मानते हैं। अपने सियासी सफर में कांग्रेस के बड़े नेता अजय सिंह को मात दी, तो उससे पहले अर्जुन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा जैसे दिग्गजों को हराने वाले पूर्व सांसद सुखलाल कुशवाहा को हराया था। 2014 के चुनाव के मतदान से चंद दिन पहले कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी को तोडक़र भाजपा ने बड़ा खेल किया और गणेश सिंह ने जीत की हैट्रिक बना ली थी।
मेडिकल कॉलेज को छोडक़र क्षेत्रीय विकास की कोई बड़ी उपलब्धि उनके पास नहीं है। विपक्ष उनके बताए मेडिकल कॉलेज को भी कागजी शिगूफा बता रहा है। प्रदेश में जीत से उत्साहित कांग्रेस लगातार तीन बार से सांसद होने के बाद भी सतना का हाल बताकर उनकी उपलब्धि पूछ रही है। मोदी सरकार के कामकाज के साथ साथ सडक़, बिजली, पानी, बेरोजगारी, उद्यम व व्यापार बड़े मुद्दे हैं। विपक्षी शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले पर भी उन्हें घेर रहे हैं।
 Ganesh Singh
Ganesh Singh IMAGE CREDIT: patrika
 

कद बढ़ा पर सतना को लाभ नहीं
सिंह का 2009 के बाद से लगातार राजनीतिक कद बढ़ा। पार्टी ने उन्हें प्रदेश मंत्री बनाया। २०१४ के लोकसभा चुनाव बाद केंद्र में सांसद को कई जिम्मेदारियां दी गईं। विषय अनुमान समिति, रेलवे वित्त व्यवस्था, पंचायती राज, अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग कल्याण संबंधी समिति, अध्यक्ष भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास विधेयक, उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार पर संयुक्त समिति में शामिल किया। सांसद, राज्य व केंद्र में भाजपा की सरकार होने का सतना को ज्यादा फायदा नहीं मिला।
संसद में सक्रिय रहे
सिंह की संसद में 86 फीसदी उपस्थिति रही। लोकसभा में क्षेत्रीय मुद्दे भी उठाए। सांसद ने किसानों को मुआवजा, रेल स्टॉपेज, सतना के स्वास्थ्य को लेकर, मंदाकिनी के प्रदूषण का मुद्दा उठाया। वे 321 दिन चले सदन में 279 दिन मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने 152 बहस में हिस्सा लिया। 384 सवाल पूछे।
दूसरे नाम पर विचार
केंद्रीय नेतृत्व ने सांसदों के कार्य और लोकप्रियता की स्थिति जानने एक सर्वे कराया है। इसमें सिंह की स्थिति न बहुत अच्छी और न ही बहुत खराब मिली है। माना गया है कि यहां का प्रत्याशी या तो पिछड़ा अथवा ब्राह्मण वर्ग से ही बेहतर होगा। ऐसे में भाजपा मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी के नाम पर भी विचार कर सकती है।
परिवारवाद के आरोप
विरोधियों ने सांसद गणेश सिंह पर समय-समय पर परिवारवाद के आरोप भी लगाए, हालांकि जनता के बीच यह कभी बड़ा मुद्दा नहीं बना। उनके पिता कमलभान सिंह पुस्तैनी गांव खम्हरिया में खेती करते हैं। छोटे भाई उमेश प्रताप सिंह जिला पंचायत सदस्य और वन स्थायी समिति के सभापति हैं। उमेश की पत्नी सुधा पटेल सतना जिला पंचायत में अध्यक्ष हैं।

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