ये भी पढ़ें: श्री डालीबाबा रामलीला समाज: कलाकारों का अनुभव ही रामलीला की शान, फिल्मी गानों का रहता है निषेध तत्कालीन महंत राम भूषणदासजी ने शुरुआत की थी। तब से हर साल 12 से 15 जगह मंचन किया जाता है। इस आदर्श रामलीला मंडली को 70 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बेहतर रामलीला मंचन के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था।
ये भी पढ़ें: श्री बिहारी रामलीला: प्रोफेशनल से पॉलिटीशियन तक निभा रहे किरदार, एक बार रामलीला ने लिया था सियासी रंग गुरुप्रसन्न दासजी ने बताया कि यूपी, एमपी व छत्तीसगढ़ की सरकारों ने कई बार हमारी मंडली को बुलाया और सम्मानित किया। 66 साल के दौरान खजुरीताल में पांच बार ही मंचन किया गया। जबकि, लगातार कहीं न कहीं मंचन जारी रहता है।
ये भी पढ़ें: सतना शहर में 1897 में हुई थी रामलीला की शुरुआत, 122 वर्ष पुराना है यहां का इतिहास इस समय मंडली में 30 कलाकार हैं, जिन्हें 8 हजार से 18 हजार तक हर महीने वेतन दिया जाता है। हर दो महीने में 10 दिन का अवकाश भी रहता है। जरूरत पडऩे पर भी छुट्टी मिल सके, इसके लिए जरूरत से ज्यादा कलाकर होते हैं।
बैलगाड़ी से ले जाते थे सामान
शुरुआती दौर में संसाधनों का अभाव था। कलाकार व मंडली का सामान बैलगाड़ी के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जाता था। बिजली व्यवस्था लिए गैस सिलेंडर होते थे। संवाद के लिए बैट्री वाले माइक उपयोग किए जाते थे। जैसे-जैसे संसाधन विकसित होते गए, मंडली को भी अपडेट करते गए। आज तो जनरेटर, डीजी सहित अन्य आधुनिक उपकरण हैं। स्मार्ट फोन व फेसबुक के जरिए पूरी दुनिया को लाइव कवरेज भी देते हैं। बताया जाता है कि 70 से 90 के दशक में यहां की रामलीला की काफी डिमांड थी, इसके बावजूद कई बार आयोजक उतना पैसा नहीं दे पाते थे। ऐसे में टिकट जारी कर इसकी भरपाई की जाती थी। उस समय मंडली में 90 से 105 कलाकार हुआ करते थे।
ऐसा भी हुआ… जब धनुष में किसी ने डाल दी थी लोहे की रॉड
गुरुप्रसन्नदासजी महराज बताते हैं कि कैमोर में धनुषयज्ञ की लीला होनी थी। किसी ने धनुष में लोहे की राड डाल दी। काफी कोशिश के बाद धनुष नहीं टूटा। राम मूर्छित हो गए थे। इसके बाद व्यासाचार्य ने भगवान का आह्वान किया। राम उठे और धनुष तोड़ दिया। इस घटना के बाद से ही खजुरीताल की रामलीला मंडली की ख्याति बढ़ी थी।
40 साल पहले राम के रोल से रामलीला की शुरुआत की थी। तब से लगातार इसी मंडली से जुड़ा हूं। रामलीला के प्रति गहरा लगाव है। रावण की भूमिका में भी आत्मिक शांति मिलती है। इससे दूरी नहीं बना पा रहा हूं।
केदार तिवारी, आदर्श रामलीला मंडली खजुरीताल