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ये था मामला
नागौद के चंद्रकुइयां गांव में 45 वर्षीय बच्चू कुशवाह पिता रामप्रताप कुशवाह सब्जी का थोक व्यापारी था। शनिवार को उनके घर पर अखंड रामायण का पाठ था। रामायण पाठ के अगले दिन यानी रविवार को भंडारा आयोजित किया गया। कुछ लोग गांव के मंदिर पर झंडा चढ़ाने जा रहे थे। इसी दौरान बच्चू कुशवाह को करंट लग गया। बेसुध हालत में उसे सुबह करीब 9 बजे नागौद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच परखने के बाद युवक को मृत घोषित कर दिया। मामले की सूचना पुलिस को दी गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। यहां करीब 11 बजे उसे पीएम रूम में ले जाया गया। यहां पीएम करने वाले डॉक्टर ने प्रक्रिया शुरू की ही थी कि, अचानक पीएम डॉक्टर को महसूस हुआ कि, पोस्टमार्टम के लिए लाया गया शरीर मृत नहीं है। पुष्टि होने पर डॉक्टर के होश उड़ गए। डॉक्टर की जांच में युवक की सांसें चल रही थीं। तुरंत पोस्टमार्टम रोककर युवक के संबंध में पुलिस को जानकारी दी गई। इसके बाद तुरंत युवक को सतना के जिला अस्पताल रैफर किया गया।
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लोगों ने उठाया सवाल
बच्चू कुशवाह के जिंदा होने की जानकारी जैसे ही फैली तो, परिवार में एक तरफ तो खुशी दौड़ पड़ी, वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गुस्सा भी फूट पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि, जब बच्चू जिंदा था तो, उसकी जांच किस हद की लापरवाही से की गई कि, उसे मृत घोषित करके पीएम के लिए भेज दिया। परिवार का आरोप है कि, वो तो उसका जीवन था कि, पोस्टमार्टम से एन पहले उसके शरीर की हरकत चिकित्सक को दिखाई पड़ गई। वरना डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से एक जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम हो जाता। गुस्साए लोगों ने अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की, इस दौरान ग्रामीणों ने सड़क पर जाम भी लगा दिया। वहीं, अस्पताल के डॉक्टरों ने बचने के लिए खुद को कमरे में बंद कर लिया। हालांकि, मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों को समझाइश देकर हालात नियंत्रित किये।