मेले में भीड़-भाड़ के दौरान श्रद्धालुओं को आने-जाने व वाहन पार्किंग में असुविधा न हो, इसके लिए नगर पंचायत प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ मुहिम शुरू की है। बीते सप्ताहभर में एक दर्जन के करीब अवरोधक जेसीबी से हटवाए गए हैं। प्रशासन की इस कार्रवाई को आमजन का भी समर्थन मिल रहा है।
दीपदान का महत्व
धर्म शास्त्रों में कार्तिक को पवित्र महीना माना गया है। मान्यता है कि भगवान राम इसी माह वनवासकाल पूरा कर अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्या नगरी दीपों से रोशन थी। यह परम्परा बाद में दीपोत्सव में बदल गई। मंदाकिनी में दीपदान की परम्परा भी इसी भगवान राम से जुड़ी हुई है। चित्रकूट में दिवाली मेला दीपोत्सव से दो दिन पहले यानी 25 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा और दीपावली के दो दिन बाद 29 अक्टूबर तक चलेगा। इन पांच दिनों में 25 से 30 लाख श्रद्धालु दीपदान कर पुण्यलाभ लेते हैं। मंदाकिनी में स्नान कर कामतानाथ स्वामी के दर्शन व कामदगिरी परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो कार्तिक भगवान विष्णु का महीना है, जो गृह-नक्षत्र, तिथि पर्व व योग के अनुसार धन-यश, ऐश्वर्य लाभ व उत्तम स्वास्थ्य देता है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने इसी महीने तारकासुर का वध किया था, इसलिए इसका नाम कार्तिक पड़ा। इस महीने तुलसी पूजन का विशेष महत्व है।
दिवाली मेले से पहले चित्रकूट की जर्जर सड़कों पर पैचवर्क का शुरू कर दिया गया। कस्बे की मुख्य सड़कों पर बने गड्ढे प्रशासन द्वारा कांक्रीट से भराए जा रहे हैं। बाजार क्षेत्र की साफ-सफाई कर डिवाइडर व प्रमुख सरकारी भवनों पर रंगरोगन कराया जा रहा है। ताकि, मेले के दौरान रौनक बनी रही।