एनसीइआरटी की बुक चलाना अनिवार्य
निजी स्कूलों में बस्ते का बोझ कम करने स्कूल शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों की सभी कक्षाओं में एनसीइआरटी की किताब अनिवार्य रूप से चलाने तथा किताबों की संख्या तय करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी और शिक्षा विभाग की मनमानी के चलते जिले की अधिकांश स्कूलों में अभी भी मुनाफा कमाने के चक्कर निजी प्रकाशकों की किताबें चलाई जा रही है।
जिम्मेदार चुनाव में व्यस्त
निजी स्कूलों में एनसीइआरटी की किताब चलाने एवं बस्ते का बोझ कम करने स्कूल शिक्षा विभाग ने अप्रैल में गाइड लाइन जारी करते हुए सभी जिला कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को इसका अनिवार्य एवं सख्ती के साथ पालन कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी दो माह से चुनाव में व्यस्त हैं। अभी कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
ऐसे लुट रहे अभिभावक
एनसीइआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबें चलाकर निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को दोनों हाथ से लूट रहे हैं। स्टेशनरी की दुकानें भी फिक्स कर रखी है। जहां पांच गुना महंगी किताब दी जा रही है। कक्षा एक में लगने वाली एनसीइआरटी किताबों के सेट की कीमत मात्र दो सौ रुपए है, लेकिन निजी स्कूल कक्षा एक में जिस प्रकाशक की किताब चला रहे हैं उनका सेट दुकानों में 3 से 4 हजार रुपए में पड़ रहा है। इतना ही नहीं स्कूल यूनिफार्म की दुकानें भी फिक्स कर रखी हैं। जहां बाजार में मिलने वाली यूनिफार्म से दो से तीन गुना महंगे दाम पर अभिभावकों को यूनिफार्म उपलब्ध कराई जा रही है।
सरकारी गाइड लाइन ताक पर
जिले के अधिकांश निजी स्कूलों में फीस, यूनिफॉर्म और किताबों के संबंध में जारी आधिकारिक गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से गठित समितियां भी कोई कदम नहीं उठा रहीं हैं। समितियों द्वारा शिकायतों के बाद भी संबंधित स्कूलों का निरीक्षण तक नहीं किया गया है। यही वजह है कि प्राइवेट स्कूल बस्ते का बोझ कम करने के संबंध में जारी गाइडलाइन तक का पालन नहीं कर रहे हैं। जिले में संचालित अधिकांश प्राइवेट स्कूल शासन की गाइड लाइन को दरकिनार कर एनसीईआरटी की किताबों के स्थान पर निजी प्रकाशकों की किताबें चला रहे हैं। इसका खामियाजा अच्छी शिक्षा के नाम पर निजी स्कूलों में अपने बच्चे पढ़ा रहे अभिभावकों को महंगी किताब और यूनिफार्म खरीद कर भुगतना पड़ रहा है।