बिना मेरी जानकारी के कैसे हटा दिया नेक्टर झील प्रोजेक्ट की समीक्षा में कलेक्टर ने पत्रिका की खबर को संज्ञान लेते हुए पूछा कि बंबू रेस्टोरेंट का क्या है? इस पर धीमी आवाज में जवाब आया कि हटा दिया गया है। यह सुन कलेक्टर भड़क गए। पूछा, कौन बोला था हटाने को। जवाब दिया कि गहलोत सर (पूर्व निगमायुक्त) ने कहा था। इस पर कलेक्टर ने कहा कि ऐसा कैसे कर दिया गया। न तो मुझसे पूछा गया और न बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सामने रखा गया। इस प्रोजेक्ट का यह मेजर कंपोनेंट है। यह बनेगा। इसे शामिल करो और जैसा एसओपी में है वैसा ही बनाया जाए। फिर सवाल किया कि कितने का काम है। बताया गया कि 3 लाख रुपए का। तब कलेक्टर ने कहा कि करोड़ों रुपए का काम कर रहे हैं और यह 3 लाख रुपए का छोटा सा काम नहीं हो पा रहा है। इस पर बताया गया कि ठेकेदार काम नहीं कर रहा है। जवाब सुन भड़के कलेक्टर ने कहा कि बंबू रेस्टोरेंट बनना है, अब चाहे ये ठेकेदार करे या कोई और।
मैरिज गार्डन पर भी सवाल कलेक्टर ने पूछा कि मैरिज गार्डन का क्या है? जानकारी मिलने पर कहा कि इस तरह से काम नहीं दिया जाएगा। पूरे मास्टर प्लान का डिमार्केशन करो। इस पूरे प्रोजेक्ट को अलग सेपरेट करो। इसके बाद अलग हिस्से पर उसे दिया जा सकता है। प्रोजेक्ट के अंदर जहां पब्लिक रहेगी वहां काम नहीं होगा।
वॉलीबाल कोर्ट पर भी भड़के इसी तरह व्यंकटेश लोक की समीक्षा में पाया कि यहां पर वॉलीबाल कोर्ट बनना था, लेकिन उसे भी हटा दिया गया है। इस पर भी कलेक्टर भड़क गए। कहा कि प्रोजेक्ट से कोई भी कंपोनेंट यू हीं नहीं हटा सकते हैं। जो एसओपी में है उसी तरह इसे बनाया जाए।