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सतना

बंद मंदिर में रात को माता को रोज कौन चढ़ा जाता है फूल! आज भी अनसुलझा है ये राज

Sharda Mata temple Maihar news मैहर के शारदा माता मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे 3.50 लाख भक्त

सतनाOct 08, 2024 / 04:51 pm

deepak deewan

3.50 lakh devotees reached Maihar's Sharda Mata temple for darshan

3.50 lakh devotees reached Maihar’s Sharda Mata temple for darshan

देश-दुनिया की तरह मध्यप्रदेश में भी इन दिनों नवरात्रि की धूम मची है। माता की भक्ति के इस दौर में प्रदेशभर के देवी मंदिरों में मां के दर्शन और पूजन के लिए भक्त उमड़ रहे हैं। एमपी के विश्व विख्यात मैहर के शारदा माता मंदिर में भी दर्शन के लिए पहुंच रहे भक्तों की लंबी लाइन लग रही है। मंगलवार सुबह तक यहां करीब 3.50 लाख भक्त शारदा माता के दर्शन कर चुके थे। 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित मां शारदा के इस प्रसिद्ध मंदिर से कई मान्यताएं और किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। रोज सुबह मंदिर खोलते ही माता के चरणों में फूल मिलता है। रात को इसे कौन चढ़ा जाता है, यह राज आज तक कोई नहीं बता सका है।
त्रिकूट पर्वत पर बने मंदिर में सुबह पट खुलते ही भक्त दर्शन के लिए टूट पड़ते हैं। भक्तों के दर्शन के लिए नवरात्र के दौरान सुबह 3 बजे से ही मंदिर के पट खोले जा रहे हैं। मेला कंट्रोल रूम के अनुसार नवरात्र में यहां 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
मैहर का मां शारदा धाम को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां मां सती का हार गिरा था। इसलिए स्थान को मईया का हार यानि मैहर का नाम दिया गया। शारदा माता का मंदिर सिद्ध स्थान माना जाता है, यही कारण है कि सालभर लाखों भक्त यहां अपनी मन्नत पूरी करने की प्रार्थना लिए आते हैं।
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मैहर शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर इस मंदिर और भक्तों की सुरक्षा के लिए इस बार कड़े इंतजाम किए हैं। मेला परिसर में 200 से ज्यादा सीसीटीवी लगाए गए हैं जबकि 2 ड्रोन कैमरे भी इलाके पर लगातार नजर रख रहे हैं। 650 से ज्यादा पुलिसवालों को तैनात किया गया है। 2 एएसपी, 4 डीएसपी और 12 टीआई भी यहां अपनी ड्यूटी दे रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु मां शारदा के दर्शन कर सकें, इस​के लिए नवरात्र पर वीआईपी व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है।
शारदा माता का यह मंदिर कई मान्यताओं, किंवदंतियां और अनसुलझे रहस्यों के लिए भी जाना जाता है। माता का यह मंदिर कई मायनों में अनूठा है। मंदिर 522 ईसा पूर्व का बताया जाता है। मान्यता यह भी है कि आदिगुरू शंकराचार्य ने यहां सबसे पहले मां शारदा की पूजा की थी। मंदिर में स्थापित माता की प्रतिमा के नीचे पुराने शिलालेख हैं पर इन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
मंदिर की पहाड़ी के पीछे मां शारदा के परम भक्त माने जाते आल्हा और उदल के अखाड़े हैं। यहां उनकी विशाल प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। शारदा देवी मंदिर के पास एक तालाब है जिसे देव तालाब की तरह माना व पूजा जाता है। मान्यता है कि तालाब में खिले कमल पुष्प को उनके अमर भक्त आल्हा आज भी रोज माता पर चढ़ाते हैं। जनश्रुति के अनुसार इस तालाब में खिलनेवाला कमल का फूल सुबह देवी के चरणों में चढ़ा हुआ मिलता है।
माना जाता है कि आल्हा यहां आज भी रोज रात को आरती भी करते हैं। रात में यहां कोई नहीं रुकता। मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी पहाड़ी से नीचे उतर आते हैं। इसके बाद भी रात में मंदिर से घंटी बजने और आरती की आवाज आती है। सबसे खास बात यह है कि सुबह जब पुजारी जाकर मंदिर के दरवाजे खोलते हैं तो उन्हें माता के चरणों में फूल चढ़े हुए मिलते हैं। स्थानीय पंडित बताते हैं कि आज तक यह रहस्य कोई नहीं सुलझा सका है। लोग कहते हैं कि आल्हा रोज रात को यहां आते हैं और माता का श्रृंगार कर पूजन पाठ करते हैं।

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