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दरअसल, प्रदेश सरकार नए सत्र में कक्षा छ से आठ तक के शिक्षण पाठ्यक्रम में बदलाव कर हिंदुत्व के लिए संघर्ष करने वाले महापुरुषों और संकिर्ण राष्ट्रवादी विचारधारा के लिए संघर्ष करने वालों को शामिल करने का निर्णय लिया है। यानी अब बच्चों को अब बाबा गोरखनाथ के जीवन चरित्र के साथ-साथ गोरक्षनाथ मंदिर के योगदान को पढ़ाया जाएगा। इनके अलावा गोरखपुर के ही बाबू बंधू सिंह को भी पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है। इनके अलावा जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं आल्हा-उदल की जीवनी व संघर्ष की जानकारी पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई जाएगी।
प्रदेश सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अब मुस्लिम समाज की ओर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं। मुस्लम धर्म गुरु का सरकार इस तरह के फैसेल से भगवा एजेंडे को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में राष्टीय महापुरुषों को अगत कराना चाहती है तो उन्हें बिना भेदभाव के उन सभी विद्वानों और स्वतंत्रता सेनानाियों को भी पढ़ाया जाना चाहिए,जिन्होंने इस राष्ट्र के उत्थान में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। लिहाजा, सरकार को चाहिए कि वह पाठ्यक्रम में उन मुस्लिम विद्वानों, उलेमा और स्वतंत्रता सेनानियों को भी शामिल करें, जिन्होंने जंग-ए-आजादी के लिए अपनी जान की कुरबानी लगाकर सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
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दारुल उलूम निस्वाह के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने प्रदेश सरकार द्वारा स्कूली कोर्स में परिवर्तन पर कहा कि अगर इन लोगों का सर्वसमाज के उत्थान में योगदान है तो बहुत अच्छा कदम है। लेकिन अगर जिन लोगों के नाम सिर्फ इसिलए शामिल किए जा रहे हैं कि वह हिंदुत्व की पहचान के लिए किए जा रहे हैं तो प्रदेश सरकार ऐसी आग से खेल रही है, जिसका नुकसान पूरे मुल्क को होगा। बेहतर हो कि प्रदेश सरकार बच्चों के कोर्स में ऐसे लोगों को शामिल करें,जिन्होंने मुल्क और सर्वसमाज के लिए कुरबानियां दी हो। मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा कि आजादी के बाद ऐसे बहुत से लोगों के नाम इतिहास में शामिल नहीं हैं, जिन्होंने मुल्क और सर्वसमाज के बेहतरी के लिए अपना सब कुछ कुरबान कर दिया। उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि अगर कौम के नाम से लोगों की जिंदगी बच्चों को पढ़ाई जाएगी तो उलेमा का योगदान भी कम नहीं है, जिन्होंने मुल्क की आजादी की लड़ाई ही नहीं लड़ी, बल्कि देश में दारुल उलूम जैसे शिक्षण संस्थान तैयार कर दिए जिसका लाभ दुनियां को मिल रहा है। मौलाना लतीफ ने सरकार की नीयत पर शक जताते हुए कहा कि वह सिर्फ हिंदुत्व के नाम पर दूसरी कौमों को नजरअंदाज करने का काम कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।