बता दें कि देवबंद के विभिन्न इस्लामी शिक्षण संस्थाओं में प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर के विभिन्न प्रदेशों के हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। लेकिन, इस बार इस्लामिक शिक्षण संस्थाओं के छात्र लोकसभा चुनाव के दौरान परीक्षा के कारण अपने मतों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। दारुल उलूम के तंजीम-ओ-तरक्की विभाग के प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि कई दशक पहले दारूल उलूम के छात्रों को मतदान का अधिकार होता था। बाकायदा उनके वोट भी बनवाए जाते थे, लेकिन बाद में यह सुविधा समाप्त कर दी गई। उन्होंने बताया कि लोकतंत्र में सबको मतदान का अधिकार है। इसलिए अपने घरों से दूर बालिग छात्र को भी उनके शिक्षण संस्थाओं में मतदान का अधिकार दिया जाना चाहिए, ताकि वे लोकतंत्र के महापर्व में शामिल हो सकें।
इस संबंध में एसडीएम राकेश कुमार ने बताया कि पोस्टल बैलेट की व्यवस्था ड्यूटी पर रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए ही होती है। फिलहाल मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों के लिए इस तरह का कोई सुविधा नहीं है।