कांवड़ मेले के दाैरान जाे कांवड़ शिविर लगते हैं उनसे बड़ी तादाद में वेस्ट यानी कचरा निकलता है। कांवड़ मेला समापन हाे जाने के बाद यह वेस्ट सड़क किनारे पड़ा रहता है। कुछ लाेग इसे इकट्ठा करके डंप कर देते हैं लेकिन इसमें प्लास्टिक और अन्य एेसा वेस्ट (कचरा) भी हाेता है जाे रिसाइकिल नहीं हाे पाता और इस कचरे का असर पर्यावरण पर पड़ता है।
इस समस्या से निपटने के लिए सहारनपुर के घंटाघर चाैक पर लगा यह शिविर नजीर है। इस शिविर की खास बात यह रही कि पूरे शिविर में खाने के लिए कहीं भी डिस्पाेजल बर्तनाें का इस्तेमाल नहीं किया गया। पीने के पानी के कैंपराें के साथ भी डिस्पाेजल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। शिविर में भाेले के भक्ताें के लिए घी बूरा और चावल के साथ-साथ घी शक्कर और चावल व दाल चावल व व्रत वाले भक्ताें के लिए फल आहार रखा गया।
मेडिकल वेस्ट के लिए भी अलग से इंतजाम इस कांवड़ शिविर में किए गए। यहां कांवड़ियाें काे प्राथमिक उपचार के साथ-साथ थेरिपी भी दी गई। इस दाैरान निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए भी अलग से व्यवस्थाा की गई।