मौलाना लुतफुर्रहमान सादिक़ क़ासमी ने कहा कि मदरसों में ड्रेस बदलने की बात करने वाले ये जान लें कि हमारे बड़ों और उलेमा ने जो ड्रेस यानी कुर्ता-पजामा को शरई कपड़े पहनने का हुक्म दिया है और हम उसी के साथ रहेंगे। मरते दम तक कोई इसे बदल नहीं सकता। मोहसिन रजा ठेकेदार नहीं हैं, जो ये तय करेंगे कि मदरसों में उनके हिसाब से क्या पहना जाए और क्या नहीं। इस मुद्दे पर मौलाना इतने आगबबूला हो गए कि उन्हेंने मोहसिन रजा पर कई व्यक्तिगत हमले भी किए। उन्होंने इस मामले में अपनी कड़ी नारजगी जताते हुए कहा कि मोहसिन रजा जिस तरह की बातें कर रहे हैं। उससे ऐसा लगता है कि उनको पागल कुत्ते ने काट लिया है, जो बिना वजह दूसरे के मामले में दखल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोहसिन रजा दीन और मदरसों के बारे में कुछ नहीं जानते। उन्होंने उनके इस्लामिक ज्ञान को चैलेंज करते हुए कहा कि शायद मोहसिन रजा को नहाने और नमाज के तरीकों का भी पता नहीं होगा। वह क्या जाने दीन और मदरसों के बारे में। हम अपने बड़ों के बताए हुए रास्ते पर चलेंगे। उन्होंने कतहा कि हमारे लिए मोहसिन रजा कुछ नहीं है और न उनकी कोई हैसियत है और न ही कोई औकात।
यह कहा था मोहसिन रजा ने
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने मदरसों में कॉमन ड्रेस कोड की वकालत की है। गौरतलब है कि अभी तक मदरसों में कोई ड्रेस कोड लागू नहीं है। मदरसों पर बोलते हुए मोहसिन रजा ने कहा कि मदरसों के बच्चों को भी मुख्यधारा से जोड़ना है, इसीलिए हमने एनसीईआरटी की किताबें लागू की हैं। धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अब मदरसे के बच्चे सामाजिक शिक्षा भी हासिल करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मदरसों में अब कॉमन ड्रेस कोड लागू किया जाएगा। मोहसिन रजा ने कहा कि अभी बच्चे जो कुर्ता पायजामा पहनकर जाते हैं, वह किसका ड्रेस है। उसे किसने लागू किया है, इसके बारे में हमें नहीं पता। ड्रेस कोड से उनके अंदर भी कॉन्फिडेंस आएगा और वे भी खुद को बाकी स्टूडेंट्स जैसा ही समझेंगे और बराबर महसूस करेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि ड्रेस कोड क्या होगा, यह बैठकर तय किया जाएगा।